Jyoti yadav 23 May 2023 कविताएँ अन्य #अब तलवार ले ले# 6461 0 Hindi :: हिंदी
भर हुंकार उठी ललकार अब तलवार ले ले डूब रही नैया तेरी अब पतवार ले ले कब तक यू तू रोती बिलखती रहेगी आंसुओ से आंखें अपनी भी गोती रहेगी आंसू अपनी अब तुम खुद ही पोछ ले क्या करना है सोच ले कह दे तो इस जमाने से डरती नहीं है आंखें दिखाने झुकेगी नहीं झुकाने से बदल गया वह दौर जब रो रही थी तू रुलाने से अब तो तेरी सिंह सी दहाड़ है रुकती नहीं चाहे खाई या पहाड़े हैं जिंदगी का तेरे यही सार हैं रहना नहीं तुझे अब लाचार है सौगंध ये बार-बार ले ले डूब रही नैया तेरी अब पतवार ले ले