Shubham Kumar 30 Mar 2023 आलेख समाजिक बाबाजी का ठुल्लू 30380 0 Hindi :: हिंदी
इस इस विषय में, यहां पर हमारा प्रमुख विषय है_ ब्राह्मण_ और छत्रिय, इन दोनों ने_ मिलकर जो, हिंदू धर्म, को बदनाम किया है_ यूं कहिए_ उन्होंने अपना ही कानून दिया है, इस लेख में चर्चा होगी, मनुस्मृति की_ उसमें एक उदाहरण मिलता है_ की मनुस्मृति में शूद्र के बारे में_ क्या कहा गया है_ सबसे पहले जानते हैं_ या शूद्र क्या होता है, उन लोगों के मुताबिक_ शुद्र को_ एक छोटा जाती है_ महाभारत से_ एक कहानी उठाते हैं_ एक बार द्रोणाचार्य), करण अपने गुरु, का सर अपनी गोद में, लेकर, बैठे थे_ तभी कर्ण को_ कुछ काटता है, करण सोचते हैं_ कि अगर मैं अपना पैर,, हिलाता हूं तो_ गुरु की निद्रा, भंग हो जाएगी_ कर्ण का रक्त_ निकल जाता है_ जब द्रोणाचार्य_ को पता चलता है_ तो क्रोधित हो जाते हैं( लेकिन गुरु भक्ति) भी उन्हें दिखती है_ वह कहते हैं_ तुम शूद्र जाति के_ हो और तुमने इस बात को अपने गुरु से, छिपाए हो, इसलिए मैं तुम्हें_ श्राप देता हूं_ तुम ब्रह्मास्त्र, चलाना भूल जाओगे_ अब यहां पर_ सोचते हैं कि_ इस तरह कि जो_ ऊंच-नीच की भावना_ जो तैयार की गई है_ यह बिल्कुल ही_ अलग दिशा में जाती है_ अब द्रोणाचार्य_ को कैसे पता चला_ वह शूद्र है, चलो इन बातों को_ मान भी लेते हैं_ जब वह इतने_ बड़े ज्ञानी थे_ तो उन्हें एक छोटी सी_ बात नहीं मालूम_ कि करण भी, पांडव का ही वंश है_ अब जो इस तरह की_ भावना दी गई है_ उसमें हमें क्या मिलता है? बाबाजी का ठुल्लू_ अब कुछ और प्रथा ऐसी थी_ मैं उन घटनाओं को_ विस्तार से नहीं लिख सकता_ लेकिन उनमें से_ एक ऐसी प्रथा थी_ कि जो शुद्र है, उनकी पत्नियां, को अपने तन पर_ पूरा कपड़ा_ पहनने की आजादी_ नहीं होती थी_ उन्हें ब्राह्मण, राजाओं, के सामने_ अर्धनग्न_ रहना पड़ता था_ अगर कोई महिला_ इनका विरोध करें_ तो उनके लिए_ कठोर दंड_ दिया जाता था_ कभी-कभी, तो उन्हें अपने, जान से हाथ धो लो लेना , उनमें से एक सती प्रथा थी_ महिलाओं को_ अग्नि में जलाना, अब उनमें, एक बात तो तय है_ कि शुद्र को, शिक्षा का अधिकार_ नहीं दिया जाता था, उन्हें वेद पुराण पढ़ना, तो दूर की बात_ छूना भी गुनाह था_ मनुस्मृति में कुछ बात, ऐसे भी लिखे हैं जो बताता है_ यह बातें को नकारते हैं_ मनुस्मृति में कहते हैं_ कि जहां पर स्त्री का सम्मान होता है, वहां देवता वास करते हैं_ स्त्री जब छोटी अवस्था में, रहती है तो, उनकी रक्षा माता-पिता करें_ और एक पति के बारे में_ क्या विचार है, यह हमें बताने की जरूरत नहीं उन्हीं मनुस्मृति में यह भी लिखा है_ कि जन्म से पहले_ सब शुद्र होते हैं_ अपनी योग्यता के आधार पर_ ही सर्वश्रेष्ठ होते हैं, अब कोई ब्राह्मणों को बताएं_ यह जो खुद, सम्मान पाने का , तरीका है, कोई इनसे सीखे, एक उदाहरण देता हूं_ आपके घर में_ पूजा होते हैं, अपने दान के लिए, ब्राह्मण बड़ी-बड़ी, डराने वाली, बातें करते हैं, आदमी डर जाता है, कोई-कोई लोग ज्यादा दान देकर, सोचते हैं, मेरी ग्रह दशा, ठीक हो गई, अपनी महिमा गाने के लिए_ इन्होंने प्रत्येक_ ग्रंथ_ मिलावटी, की है, उनसे समाज को क्या मिला, 6000, जातियां में, हमारा समाज बट गया, बदनामी किस से मिलती है, मनुस्मृति को_ लड़ाई झगड़ा कौन करता है? तो हम लोग जैसे_ बेवकूफ_ यह लोग, अपनी धंधा, चला रहे हैं, इससे समाज को क्या मिला? इससे हिंदू धर्म को क्या मिला? इससे हमें क्या सीख मिलती हैं? मैं बताता हूं_ इससे हमें मिलती है_ बाबाजी का ठुल्लू_ अब यहां पर_ एक छोटी सी_ बात की चर्चा करेंगे_ की मां सरस्वती_ किनको कहा जाता है_ तो यह सब_ जानते हैं कि_ शिक्षा की देवी_ सरस्वती है_ लेकिन यहां पर_ सोचने वाली बात है_ एक विषय में_ स्त्री को ही_ शिक्षा की जननी_ बताया जा रहा है_ दूसरी तरफ_ स्त्री को शिक्षा से_ दूर किया जा रहा है_ यह कुछ नहीं, बस हमें_ मिलता है, बाबाजी का ठुल्लू,
Mujhe likhna Achcha lagta hai, Har Sahitya live per Ham Kuchh Rachna, prakashit kar rahe hain, pah...