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दरिया ज़िंदगी का

मोती लाल साहु 12 May 2023 शायरी समाजिक दरिया ज़िंदगी का, मैं गोता लगाता गया- लगाता गया और डूब इतना गया- जब होश संभाला तो, अपने को परम आनंद के सागर में पाया। 6811 0 Hindi :: हिंदी

दरिया ज़िंदगी का-
मैं गोता लगाता गया 

लगाता गया-
और डूब इतना गया, 
जब होश संभाला तो 

अपने को परंम-
आनंद के सागर में पाया

मेरे चित् -
में पूर्णशांति व्याप्त थी
-मोती

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