Santosh kumar koli 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य भोर 18592 0 Hindi :: हिंदी
जागे पक्षी, जागे ढोर। जाग मुसाफ़िर, हो गई भोर। रजनी रानी, रही चादर समेट। उषा लाल वसन, रही लपेट। वसु, अरुण रथारूढ़, निकले तम आखेट। रश्मि रमण, दरवाजे ठेठ। शफ़क़ आभा, सब ओर। जाग मुसाफ़िर, हो गई भोर। पक्षी कलरव, समां समाए। जगे पेड़, थे जो शीश झुकाए। मंदिर- घंटी, सुधा बरसाए। मंद सुगंध समीर, मन को भाए। मारो, मन का चोर। जाग मुसाफ़िर, हो गई भोर। जगी दिशाएं, जगा दिक्पाल। अंबर अवनि, जगा पाताल। सुर- असुर, जगा बेताल। उठ, स्वेद कणों से, चमका भाल। कसके पकड़, कर्म- डोर। जाग मुसाफ़िर, हो गई भोर। जागे पक्षी, जागे ढोर। जाग मुसाफ़िर, हो गई भोर।