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"सुबह की मीठी नींद"

Aarti Goswami 15 Apr 2024 कविताएँ हास्य-व्यंग नींद पर कविता, सुबह की नींद मीठी नींद कविता 1290 0 Hindi :: हिंदी

"सुबह की मीठी नींद"

इस नींद के चक्कर में
किसी का पानी भरना रह गया
तो किसी को स्कूल के लिए लेट हो गया 
किसी की बस छूट गईं 
तो किसी की दफ्तर में क्लास लग गईं 
अब क्या करे 
नींद की गहराई इतनी की
सबको उठाने वाला आलर्म 
लोगों को उठाते उठाते
घंटे भर बाद देखा तो
अलार्म खुद ही सो गया
क्या करे सुबह की
नींद हैं ही इतनी मीठी
सुबह पांच बजे उठने 
का सोच कर सोने वाले को
आंठ बजे कचरे की 
गाड़ी आकार उठाती हैं
कचरे का तो पता नहीं
पर नींद जरूर ले जाती हैं 
कभी कभी तो ऐसा हो जाता हैं
की सूरज की पहली किरन का तो पता नहीं
पर सबसे प्रचंड किरन सर चढ़ के बोलती हैं
उठ जा भाई अब तो उठ जा 
वैसे ये समस्या उनके लिए हैं
जो नींद प्रेमी हैं
और इन्हीं नींद प्रेमियों को
दुनियां ने आलसी नाम दे रखा हैं 
खैर आलस ही सही पर नींद तो नींद होती हैं 
             ~आरती गोस्वामी ✍️

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