Ajeet 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक सामाजिक कविता 46118 0 Hindi :: हिंदी
उन अँधेरों का उड़ना सक्त मना हे जो दीवों मे जलकर भुना हे / उन गलियों में अँधेरों का गुजरना सक्त मना हे जो अन्ध बनके चला हे/
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