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मेरे मन को बांधों तो-अपने ही पंचम स्वर में

Sudha Chaudhary 07 Jul 2023 कविताएँ अन्य 7848 0 Hindi :: हिंदी

अरे अधीर हो हमें सहर्ष स्वीकार हो तो।
तुम्हें मिलेंगी मेरे पथ से नई उमंगे
चितवन की इस नई चाह से
मेरे मन में झांको  तो।
मुझ में ही तो बांध रखी थी
अपने जीवन की भी डोर
क्यों इतने निर्दय  हो खींचे
बिखर गए इस ओर से छोर
कांटो में यह फूल सजाकर
मेरे मन को आंको तो। 
कभी बात में यह कहना
मेरा सर्वस्व तुम ही हो
कभी हृदय से मुझे लगा कर
मुझ में तुम ही तुम हो
अपने ही पंचम स्वर में
मेरे मन को बांधों तो।



सुधा चौधरी
बस्ती

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