Raj Ashok 05 May 2023 कविताएँ समाजिक जुनून,जज्बात 19397 0 Hindi :: हिंदी
जुनून, जज्बात कोई एक बात नहीं । फर्क ,बहुत है। इन भावों मे , खौफ दिखा ना । मुझे किताबों का मेने बहुत कागज की नाव पार उतारी है। यो़ दरिया मे डूबने वाले । हम नहीं तैर के पार जाऐगे । देखा देगें ,हर एक शक्स को के रखते है। हम अपनी मुट्ठी मे , ये जमाना हाथों की लकीरें हम सलाम ,करती है। तकदीर हमारी वो है। जो हम चाहते है