संदीप कुमार सिंह 07 Oct 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 3845 0 Hindi :: हिंदी
#विधा:_रोला छंद #"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" हँसी और मुस्कान,रहे जिसका गर साथी। भय रहता है दूर,मिले सदगुरु की थाथी।। पाएं तब सब ज्ञान,बनें फिर तब बहु ज्ञानी। नाम करे विख्यात,चाँदनी तब हो रानी।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....