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दीपावली के दीप

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #Ambedkarnagar poetry #Rambriksh Bahadurpuri kavita #Rambriksh Bahadurpuri #Dipawali per kavita 7435 0 Hindi :: हिंदी

दीपावली के दीप ( दिपावली पर कविता) 

जुगनू सा जले दीप तो समझो दिवाली है
मन में जगे जब प्रीति तो समझो दिवाली है
दुश्मन हो या हो गैर
बैर ना किसी से हो,
रोशन हो मन में प्यार का
जीवन में खुशी हो,
जीवन बने संगीत तो समझो दिवाली है। 
मन में जगे जब प्रीति तो समझो दिवाली है

हिल हिल के कहे दीप का
लहराता हुआ लौ
बिन जले कैसा जीवन
सिखलाता रहा वो
प्रेम का हो जीत तो समझो दिवाली है। 
मन में जगे जब प्रीति तो समझो दिवाली है

तेल और बाती सा
रिश्ता हमारा हो,
हम एक दूसरे का
दु:ख में सहारा हो,
हो अपनेपन का रीति तो समझो दिवाली है। 
मन में जगे जब प्रीति तो समझो दिवाली है

प्यार के प्रकाश में हम
खुशियों को सजाएं 
जाति पाति का हम
आडम्बर मिटाएं,
फिर बढ़े मन में मीत तो समझो दिवाली है। 
मन में जगे जब प्रीति तो समझो दिवाली है

टिमटिमाते झालरों से 
हम चकमकाए न
फोड़ फोड़ कर पटाखे
डर भय बनाएं ना,
संग नाचे गाएं गीत तो समझो दिवाली है। 
मन में जगे जब प्रीति तो समझो दिवाली है

देश के मिट्टी से बना
वह दीप का दीया
जल जल कर है बताता
जीवन है तपस्या,
जीवन बनें नवनीत तो समझो दिवाली है। 

रचनाकार -रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर यू पी 


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