कश्मीर के पीछे पाकिस्तान::
1948, 1965, 1971 और 1999 का युद्ध थोंपकर शिकस्त खाने के बावजूद पाकिस्तान खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे के मानिंद कश्मीर को अशांत करने पर जुटा हुआ है। एक ओर वह सीजफायर का उल्लंधन कर कश्मीरी धरा को लहूलुहान करना चाह रहा है, तो दूसरी ओर उसके पाले-पोसे गुर्गे सैन्य बेस कैंपों पर हमले की नाकाम कोशिशें कर अपनी मौजूदगी दर्शा रहे हैं।
पाक, भारत से सीधे युद्ध में कभी नहीं जीता, न ही जीत सकता है। इसलिए, आतंकवादियों की आड़ लेकर छद्मयुद्ध में लगा रहता है, ताकि भारत को रक्तरंजित कर कश्मीर को हड़प सके।
भारतीय सेना की यहां दाद देनी चाहिए कि वह पाकिस्तानी हुक्मरानों की चालों से वाकिफ होकर ‘आपरेशन आल आउट’ चला रखा है और विगत वर्ष से 300 से अधिक अतिवादियों को हलाक कर चुका है। इससे पाकिस्तान के हौसले पस्त हैं। उसके आतंकी आका भी भारतीय फौज से सहम गए हैं। अमेरिका द्वारा वैश्विक आतंकी घोषित हाफिज सईद व सैयद सलालुद्दीन की बोलती बंद हो गई है।
पाकिस्तान के हुक्मरान निजस्वार्थ के लिए कश्मीर के बारे में देश-दुनिया को इतना झूठ बोल चुके है कि कश्मीर उसके के लिए गले की फांस बन चुका है। वह अपने मिथ्याचारों को न उगल पा रहा है, न निगल। यह तथ्य आतंकी बुरहान वानी की मौत और आतंकियों को मनमाफिक अच्छे व बुरे आतंकी की व्याख्या करने से कई दफा जाहिर हो चुका है।
वह कश्मीर के नाम पर संयुक्त राष्ट्र संध के मंच पर अनेक मर्तबा शर्मनाक पराजय झेल चुका है। फिर भी बेशर्मी की सारी हदें पारकर कश्मीर राग अलापना नहीं छोड़ रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को भली-भांति पता है कि कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है। वह इस बाबत प्रस्ताव भी पास कर चुका है। फिर भी, पाकिस्तान यूएन में गलत तथ्य पेश कर संसार को इसलिए गुमराह करता रहता है, ताकि देश की जनता को वह भ्रम में रख सके कि वह कश्मीर को भूला नहीं है। जबकि वह पाक अधिकृत कश्मीर पर 1948 से ही बेजा कब्जा कर रखा है और भारत को सीधी तरह वापस करने के बजाय आखें तरेर रहा है।
पाकिस्तान की यह उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली घटिया पालिसी है, जो वह आतंकियों के दम पर चलाता रहता है। जबकि उसे पता है कि आतंकी किसी के सगे नहीं होते। जो आतंकी भारतीय व अफगानी धरा को लहूलुहान कर रहे हैं, वे पाकिस्तानी धरती को भी तो खून से लथपथ कर सकते हैं और गाहे-बगाहे करते भी रहते हैं। फिर भी पाकिस्तान आंखें मूंदी है और अपने-आप को ही आतंकपीड़ित कह कर दुनिया से सहानुभूति बटोरने का कुत्सित प्रयास करती रहती है।
पाक सरकार मुगालते में है कि खूंखार आतंकी अजहर मसूद को यूएन में बचानेवाला उसका जिगरी दोस्त चीन कश्मीर मामले में उसका हमराही हो सकता है। जबकि चीन पाक की चालबाज हकीकत से वाकिफ है, इसलिए कश्मीर मामले से हाथ खिंचता रहता है। यहां तक कि मुस्लिमबहुल मुल्क भी कश्मीर मामले में उसका साथ नहीं देते हैं।
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