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अनकहे सवालात-किसी अनजान शहर के अजनबी राहों पर

VIVEK KUMAR PANDEY 13 Feb 2024 कविताएँ दुःखद 5817 1 5 Hindi :: हिंदी

अगर फिर कभी मिलना 
किसी अनजान शहर के अजनबी
राहों पर......
तो मत पूछना फिर वही
खामोशी से लिपटे अनकहे सवालात
अपने अश्रुपूरित आंखो से।
क्योंकि __नही दे पाऊंगा मैं जवाब,
तुम्हारे किसी भी सवाल का।
तुम्हारी खामोशी मुझे फिर से तोड़ देगी।
थक जाओगे तुम मुझसे अपने अनकहे
सवालात करते-करते।
और बिखर जाऊंगा मैं तुम्हारे निशब्द
सवालों को समेटते-समेटते।।
🙏🙏🙏

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VIVEK KUMAR PANDEY
VIVEK KUMAR PANDEY ❤️❤️

2 months ago

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