Sudha Chaudhary 10 May 2023 कविताएँ अन्य 4359 0 Hindi :: हिंदी
देखकर विस्मय की छाया मुस्कुराहट ने आ घेरा हाथ अपने कुछ नहीं था मन में था विश्वास तेरा। छोड़कर झुरमुट की छाया आ बसे नयनों की माया मस्तक पर जो भी पढ़ा वह तुम्हारी ही थी काया। साथ का संगम मिला सृष्टि के जिस मूल में वह नहीं था उस शिरा में जिससे था प्रारंभ मेरा। सुधा चौधरी