मादक पदार्थों में सजा का प्रावधानःः
ड्रग्स यानी वह नशीला पदार्थ, जिसे आम बोलचाल की भाषा में गांजा, चरस, अफीम, कोकीन, मरिजुआना, हशीश और हेरोइन कहा जाता है। देश में प्रमुखतः एनडीपीपी एक्ट 1985 की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की जाती है। इसमें नशीले पदार्थों का सेवन करना, रखना, बेचना या उसका आयात-निर्यात करना या फिर इस कारोबार में किसी की सहायता करना गंभीर अपराध माना जाता है। जुर्म के हिसाब से इसमें सजा तय है।
उक्त कानून के तहत सरकार विशेष न्यायालयों की स्थापना त्वरित मुकदमा चलाने के लिए कर सकती है। ऐसे अपराध जिनमें तीन साल से अधिक का कारावास होता है, उनका ट्रायल विशेष न्यायालयों में होता है। अरोपियों को जज के समक्ष पेश किया जाता है। साल 2013 से 2018 के मध्य देश में लगभग 2 लाख लोगों को एनडीपीपी एक्ट के तहत सजा हो चुकी है।
1. गांजाः एक किलो से कम मात्रा में बरामद हो, तो छोटी सजा का प्रावधान है। एक किलो से 20 किलो के बीच इंटरमीडिएट मात्रा माना जाता है, जिसमें थोड़ी बड़ी सजा का प्रावधान है। ये दोनों जमानती अपराध कहे जाते हैं। यदि 20 किलो से अधिक व्यावसायिक उपयोग की मात्रा मिलती है, तो बड़ी सजा होती है, जो गैर जमानती अपराध की श्रेणी में गिना जाता है।
2. हेरोइनः 5 ग्राम से कम मात्रा छोटी मात्रा में गिनी जाती है, जो जमानती अपराध है। 6 ग्राम से 249 ग्राम मध्यम मात्रा है, जो जमानती अपराध है। 250 ग्राम से अधिक को व्यावसायिक मात्रा में गिना जाता है, जो गैर जमानती है, जिसमें 10 साल की सजा का प्रावधान है।
3. चरस, कोकीन, मारिजुआना और हशीशः 100 ग्राम से कम मात्रा छोटी मात्रा है, जिसमें जमानत मिल जाती है। 100 ग्राम से 1 किलो तक की मात्रा में जमानत तथ्यों के आधार पर मिलती है। 1 किलो से ऊपर गैरजमानती अपराध है।
टीपः विदित हो कि गांजा और चरस को कैनबिस भी कहा जाता है।
एनसीबी की कार्यप्रणाली
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) गृह मंत्रालय के अधीन काम करनेवाली एक संस्था है, जो नशीले पदार्थों से जुड़े मामलों की जांच करती है। एजेंसी का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर मादक पदार्थों की तस्करी को रोकना है। एनसीबी सीमा शुल्क व केंद्रीय उत्पाद शुल्क/जीएसटी, राज्य पुलिस विभाग, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (सीईआईबी) और अन्य राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर की खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर काम करती है। इस एजेंसी में करीबन 1000 कर्मचारी-अधिकारी कार्यरत हैं। इसका काम सीमाशुल्क समन्वय परिषद, इंटरपोल, यूएनडीसीपी, आईएनसीबी, आरआईएलओ जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से संपर्क बनाकर रखना भी है।
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