Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

प्रभात काल का नमन नमस्ते

Adesh Kumar 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक प्रभात काल का नमन नमस्ते 17446 0 Hindi :: हिंदी

करती हैं किलकोरें कलियां,
महक रही हैं गलियां -गलियां ,
मचा रहे हैं शोर पेड़ पर,
खगकुल हंसते- हंसते ।
प्रभात काल का नमन नमस्ते।।
पूरब का श्रृंगार सजाकर
किरनों के संग रवि निकला है।
सवनम के मोती कुंडल बन 
चमक रहे तरुवर डाली पर 
गुलमोहर के गुलदस्ते ........
 प्रभात काल का नमन नमस्ते।।
दे दे ताली शोर किया है,
पीपल के दलपुंजों ने ।
बजा रहे हैं मधुर बांसुरी ,
मोर ,मोर के गुंजो में ।
मलय पवन निकली है घर से ,
चली जा रही रस्ते -रस्ते.........
प्रभात काल का नमन नमस्ते।।
धरती जागी, अम्बर जागा,
आँखें खोलो तुम भी जागो ,
टूट गया है तम रातों का 
प्रभात काल कुछ कहने आया,
दूर करो आलस की आंधी,
मैं करता हूं तुम्हें नमस्ते ........
प्रभात काल का नमन नमस्ते.....
         धन्यवाद

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: