Rakhi sharan 30 Mar 2023 शायरी समाजिक नजरें सामने होकर के वो नहीं देख पाती जो हम देखना चाहते हैं। 43107 0 Hindi :: हिंदी
कभी नखरे हजार करके भी वो जिद पुरी नहीं हो पाती जो हम पूरे करना चाहते हैं, कभी नजरे सामने होकर के भी, वो नहीं देख पाती जो हम देखना चाहते है।