आकाश अगम 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #कविता #poetry #शायरी #sukhan #shayari #Akash agam #आकाश अगम 69587 0 Hindi :: हिंदी
मोसों रार न देखी जाय। देस, विदेस, और हर घर में फूट परी दिखलाय।। जा दिन तै हौं जनम लियौ है , नेह न पायौ हाय। नेह कछू छन, बिष पूरे दिन , अति कटु बान चलाय।। धरती पर हुइ रहौ जुद्ध लखि , हौं दूँ पलक गिराय। छांड़ि भजूँ कित बीज जुद्ध कौ जो मन में उगि आय।। छोड़ो , अब जाने दो बात। बादर फोरि दये हैं सर पर सो हुइये बरसात।। दुशमन हौ नाहीं तुम हमरे , हौं दिन हौ तुम रात। दौनों सँग सँग आय न पावें हरी नियम कहलात।। हारि गए लखि राह तुमारी पिता रो रही मात। राम राम , डाली तै टूटा , जुरि न सकै फिरि पात।। भोर भयी है आज भजन सुनि। मन कौ बनि गयौ साज भजन सुनि।। अँखियाँ कछु पल मुँदि सुख पावें, जो न मिलो सिग रात। अब तन , मन की सुधि लै सोऊँ , राति कहाँ सुधि लाज।। अहि पर होकर मीन सो भीतर, औ ऊपर ज्यों बाज। यों मानौ आकाश , 'अगम' को पहिनाता है ताज।। अब तौ आय रही निंदरिया। आँखिन में घुलने लागी है रतिया करिया करिया।। धीमे धीमे चढ़ति नयन में ज्यों है काम कमरिया। फेरि उपजिहै नेह बहे तुहरी सुधियन कौ दरिया।। घर जानै दे हमकौ प्रियतम छाँड़ि तुहारि अटरिया। जुगली जर करि दे नहिं जाकी, नियरे दीखै बिरिया।।