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मौका रहे तलाश में-दुर्जन हैं विष घोल पानी पानी हो रहा मानवता का मोल

संदीप कुमार सिंह 17 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5751 0 Hindi :: हिंदी

(दोहा छंद)
मौका रहे तलाश में,दुर्जन हैं विष घोल।
 पानी पानी हो रहा,मानवता का मोल।।


पानी पानी हो रहा,रहे निर्लोभ शांत।
लोभी को बरसात में,भी है दृढ़ नव कांत।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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