Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

कहां गए वे लोग- जिनमें परोपकार था

संदीप कुमार सिंह 18 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5503 0 Hindi :: हिंदी

(दोहा छंद)
 जिनमें परोपकार था, कहां गए वे लोग।
मिले आजकल वो नहीं,हुआ हृदय में सोग।।

कहां गए वे लोग जो,जिनकी वाणी सत्य।
जिनका सब कुछ सत्य था,होते कभी न अत्य।।

कहां गए वे लोग जो,जिनमें था निज आन।
करते थे बलिदान सुख,पाते थे मधु मान।।

करे दूसरे का भला,कहां गए वे लोग।
 अब तो सब सरदार है,पाले ऐसा रोग।।

कहां गए वे लोग सब,आए मुझको याद।
दिए देश पर जान थे,अब तक हैं शमशाद।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: