Vikas Yadav 'UTSAH' 18 Nov 2023 कविताएँ समाजिक विकास यादव 'उत्साह' हिन्दी कविता विकास यादव कविता इंसान पर कविता 15040 1 5 Hindi :: हिंदी
काव्य रचना - ना कोई इंसान होगा सूरज होगा चांद होगा ये धरा और आसमान भी होगा, पर्वत होगा श्मशान होगा पर मुझे लगता है ये इंसान न होगा। खेत होगा खलिहान होगा चौड़ी सड़कें घर आलिसान होगा, पर उत्साह का दिल कहता है ये सब का सब बेकार होगा। ना होगा कोई भाई बांटने को ना होगा कोई खेत छांटने को, बिखरा होगा कनक सूने आंगन में ना होगा कोई चोर चुराने को। मंदिर होगा, मस्जिद होगा जेल होगा, जंजीर होगा, खड़ी होंगी ये न्याय की दीवारें पर ना कोई अपराधी और ना कोई फकीर होगा। अन्न होगा, धन होगा मुट्ठी भर ना कई मन होगा, भरी कोठरिया बेकार होगी ना कोई भुखा और ना कोई साहुकार होगा। काव्य - विकास यादव 'उत्साह' हैदरगंज, गाजीपुर,उ०प्र०
3 months ago