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छोटी सोच का अर्थ है

Pinky Kumar 08 Apr 2023 आलेख दुःखद 17411 0 Hindi :: हिंदी

इस लेख को जरूर पढ़े आपको जरूर पंसद आयेगा और कृप्या करके मेरे लेख को पढ़े और मुझे बताये कि मेने कहाँ गलती कि है अगर मेरे लेख आपको पंसद आए तो ज़रूर बताये मेरे लेख को पंसद कर को और उने 5 स्टार जरूर दे चलो पढ़ते है। छोटी सोच =) अक्सर हम लोग उन लोगो को छोटे समझ लेते जो असल में होते नहीं है। छोटी सोच का अर्थ है कि जो हमारे निचे काम करने वाले होते या कोई छोटा काम करने वाला होता है। हम उसे छोटा समझते है। जैसे सब्जी बेचने वाला, किसी ढाबे पर काम करने वाला और हरिजन ,आदि सभी लोग हम इन्हें छोटा समझ कर इन्हें  नजर अंदाज कर देत है। बल्की ऐसा नहीं है। यह हमारे से भी ज्यादा मेहनती और  कर्मशील लोग होते है। इनके सपने भले कही या किसी देश घूमने का ना हो पर इनके सपने इन्हीं कि तरह सरल और सादगी कि तरह होते यह आज के समय के सबसे सरल और सुखी जीवन जिने वाले लोग है। इन्हें ज्यादा पैसे कमाने का लालच नहीं होता पर हा यह इतना कमा लेते कि इनकी जरूरते पूरी हो जायें और यह सबसे सनष्टुत इंसाने होते है। यह इतने सरल होते है। कि यह किसी कि भी मदत कर देते है। इनकी सादगी यह बताती है। कि यह औरो के दुःख को अपना दुःख समझकर सभी कि मदत करते है। हम लोग इनके हाथ का पानी पिना भी पाप मानते है। पर यही लोग हमारी गन्दी नालिया, सड़के, घर, और हमारे झुठे बर्तन भी यही साफ करते है। इन्होंने कभी ऐसा नहीं किया कि हम क्यों साफ करे तुम्हारा गन्दा पानी क्योंकि इनकी सोच हम लोगों से कोसों ऊपर है। यह लोग छोटी - छोटी बातो को अपने जीवन में इतना महत्व नहीं देते है। तभी तो यह लोग हमसे सुखी होते है। अकसर हमारी सोच हम जितने बड़े होते जाते है। हमारी सोच भी समय के साथ इनको लेकर छोटी हो जाती है। याद करो हम भी छोटे से बड़े बने है। हमारी भी कुछ परिस्थितिया ऐसी रही होगी याद करो जब हमारे माता - पिता बोलते है कि बेटा बहोत मेहनत कि है। यहा तक पहोचने के लिये हम यह तो नहीं पुछते कि कैसे मेहनत कि आपने पर हाँ उनहोंने भी अपने स्तपर मेहनत कि है। एक गरीब का दुःख इतना होता है। कि आज कैसे ना कैसे करके एक टाइम का खाना मिल जायें उससे गरीबी का दुःख नहीं है। वो बस इसी बात से दुःखी है। कि आज उसे खाना मिल जाये दुःख तो हमें होता उन्हे  देखकर क्योंकि हमारे पास वो सब संसाधन है जो उनके पास नहीं है। पर उनको इन संसाधनों को       दु:ख नहीं उन्हे पता जब उन्हें इन संसाधनो कि जरूरत होगी तो वह कमा लेगे और कमाते भी है। बस यह लोग अपना दिखावा नहीं करते हमारी तरह इनके बोल हमारी तरह बड़े नहीं होते है। यह अपना जीवन सादगी से जिते है। और कहते है ना इंसान जितना जमीन पर रह कर सरचाई को जान सकता है। उतना वह उपर उठकर नहीं जान सकता इंसान जितना ऊपर उठता है। वह उतना ही दुःखी होता चला जाता है। उसके पास सब रहते हुए भी उसे और कमाने का लालच आजाता है। में यह नहीं बोल रही हूँ कि आपके पास जो भी उसे छोड़ दो पर यह कहना चाहती हूँ कि आवश्यकता से अधिक नहीं होना चाहिये कामायाबी हासिल करों पर एक दम सादगी से सभी का समान करो सभी को अपना मानों हम सभी जमीन से उठे हुए इंसान है। हमारी हकित को मत भुलो सभी का आदर करो सभी को अपना समझों सभी का दुःख में साथ दो फिर देखो कितना सुखी रहते है हम यही हमारी हकीत है। जिसे हम भुल गये है। और यही इंसान का फर्ज है। कि सभी को गले लगाते चले तभी हमारा मनुष्य जीवन सफल होगा और सारे दुःखो का यही ईलाज है। समझों हम इंसान है। वो भी इस धरती के

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