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Shivam 11 Apr 2023 कविताएँ समाजिक 9770 1 5 Hindi :: हिंदी

जीवन में कई संकट आते हैं,
बिना बात के हम घबराते हैं।
 बाल काल में संकट भारी है,
 दसवीं के बाद कौन सी stream चुने हम हर घर की यही कहानी है,
 समाज में फैल चुकी है अब शैक्षणिक बीमारी है।
 अगर किसी ने arts side चुनी तो उसको कम और अगर किसी ने science side चुनी  तो उसको ज्यादा करके आंका जाता है,
 अब छात्रों को उनके अंको से आंका जाता है,
 उनको अपने अपने फैसले लेने का कोई अधिकार नहीं अब ये माना जाता है।
 बाल्यकाल में उनका भविष्य निर्धारित होता,
उनको क्या करना ज्ञात नहीं कुछ होता।
 अंक कम आने पर,लोगों के ताने पर, फेल हो जाने पर।
 किसी अपने का साथ ना होने पर,
 या फिर अपना सपना टूट जाने पर।
अब अधिकांश बच्चे एक राह चुनते हैं,
 मजबूर होकर आत्महत्या और अपना मर्दन चुनते हैं।
 अगर माता-पिता चाहते हैं,
 उनका सपना उनका बच्चा भी साकार करें,
 तो अपने बच्चों की प्रतिभा को निखारने का बारंबार प्रयास करें।
 तब हर बच्चा सफल हो जाएगा,
और अपने परिवार को ही नहीं संपूर्ण विश्व को स्वर्णिम युग में ले जाएगा।

Comments & Reviews

Rekha
Rekha Bahut hi unique poem hai aur bahut aachi hai

11 months ago

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