Prince 15 Jun 2023 ग़ज़ल समाजिक #google #hindi sahity #social 7184 0 Hindi :: हिंदी
ख़ुद को ग़म से छुड़ा लो ज़रा एक दीपक जला लो ज़रा रात काली अमावस हुई अपनी पलकें उठा लो ज़रा हर क़दम पे सजे आशियाँ पाँव अपने सम्भालो ज़रा दोस्तों से दग़ा हो गई अब तो दुश्मन बना लो ज़रा अब हवा भी हुई मज़हबी अपना मज़हब छिपा लो ज़रा चांद बादल में क्यूँ छिप गया अब तो आँचल उठा लो ज़रा आंधियों ने गिराए मकाँ तिनका-तिनका बचा लो ज़रा अब तो लुटने लगी ज़िन्दगी अपना यौवन छिपा लो ज़रा याद आने लगी कंचियाँ अपना बचपन बुला लो ज़रा मरना आसाँ हुआ है 'सनम' जीना ख़ुद को सिखा लो ज़रा| ~ Prince
I am a curious person. Focus on improving yourself not 'proving' yourself. I keenly love to write st...