Chanchal chauhan 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक नारी का सम्मान 26459 0 Hindi :: हिंदी
नन्हें नन्हें पग लेकर आई हैं जग में बेटी , कहलाती हैं लक्ष्मी का रूप घर की शोभा हैं बढ़ाती, किलकारी से उसकी कलिया भी खिलखिलाती, नन्हीं सी परी अपनी मुस्कान हैं बिखेरती, घर आंगन को महकाती हैं, अपनी हंसी से चांदनी फैलाती हैं, प्यारी-प्यारी बातें करके मन को लुभाती हैं, मीठा-मीठा बोलकर मन को भाती हैं, गुड़िया से जब बेटी बड़ी होती हैं, सबका ख्याल रखती हैं, खिलौने से खेलने वाली एक दिन खुद खिलौना बनकर रह जाती हैं, बेटी,बहुत, रुप में अपनी भूमिका निभाती हैं, उसको क्यो नहीं समझते लोग, मायके में बोझ ससुराल में बेकदरी की जाती हैं, कौन सा घर होता है बेटी का , क्यो जग में बेटी सताई जाती हैं, हर रिश्ते को जिम्मेदारी से निभाती हैं, सब कुछ सहकर भी अपने मन की पीड़ा छुपाती हैं मां बनकर रातभर जागती हैं, खुद भूखी रहकर उनको भोजन खिलाती हैं, बहु, पत्नी बनकर सब फर्ज निभाती हैं, बिन नारी के ये जग ना चले, संसार का आधार नारी हैं, ना देखो उसे गलत दृष्टि से, ना बोलो उसे अपशब्द, करो उसका सम्मान, वो भी एक इंसान हैं, नहीं कोई पत्थर की नारी हैं, उसको भी होती हैं पीड़ा, नारी सम्मान की अधिकारी हैं।
Mera sapna tha apne bicharo ko logo tak phunchana unko jiwn ki sikh ,prerna dena unmai insaniyat jag...