सब्जियों में घातक रसायन::
फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथारिटी आफ इंडिया (एफएसएसएआई) के पहले देशव्यापी अध्ययन से यह खुलासा हुआ है कि देश में उपजाई और बेची जा रही 306 यानी 9.21 प्रतिशत सब्जियों में लेड, मर्करी, आर्सेनिक व कैडमियम जैसे हैवी मेटल्स की मात्रा तय सीमा से दो-तीन गुना अधिक पाई गई हैं। इसमें भी 260 सब्जी में लेड की मात्रा अत्यधिक है।
इधर कोरोना महामारी के चलते स्वस्थ्य रहने और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए चिकित्सकों के द्वारा पर्याप्त मात्रा में सब्जियां खाने और सब्जियों के जूस जैसे लौकी, करेला, पालक, मेथी आदि पीने की सलाह दी जा रही है। उधर, देश में मिलावटी, कीटनाशकों के उपयोग व गंदे पानी में उपजाई गई सब्जियों से सब्जी-बाजार पटा पड़ा है।
व्यक्ति जेब ढीली कर सब्जी खरीद भी ले, तो जहां उसमें कोरोनावायरस के डेरा जमाने से इंकार नहीं किया जा सकता, वहीं घातक रसायनयुक्त होने से मौत के मुंह में जाने से भी कोई नहीं रोक सकता। यानी एक ओर कुंआ, दूसरी ओर खाई है।
एफएसएसएआई के अध्ययन में सर्वाधिक खतरनाक हालात मप्र में पाई गई है, जहां 25 फीसद नमूनों में हेवी मेटल्स की मात्रा मिली है। इसके बाद छग के 13.6 प्रतिशत एवं बिहार के 10.6 फीसद नमूने में घातक तत्व पाए गए हैं। वहीं गुजरात मेें 8.7, चंडीगढ़ में 8.2, महाराष्ट्र में 6.0, राजस्थान में 6.1, पंजाब में 5.5, दिल्ली में 2.4 और हरियाणा में 1.6 नमूने फेल हो गए हैं।
इस अध्ययन के लिए देश के राज्यों को पांच जोन में बांटा गया था। सेंट्रल, ईस्ट, वेस्ट, नार्थ और साउथ। इसमें भी मध्य जोन की स्थिति सबसे खराब है, जिसमें छग व मप्र हैं। मध्य जोन में 15.70 प्रतिशत नमूने फेल हो गए हैं। ईस्ट जोन में 12.12, वेस्ट जोन में 7.20, नार्थ जोन में 5.13 नमूने फेल हो गए हैं। वहीं, साउथ जोन सबसे अच्छी हालत में है, जिसमें हेवी मेटल्स नहीं मिले, केवल एल्यूमीनियम मिला है। साउथ जोन में तमिलनाडु, केरल व पुड्डुचेरी राज्य हैं।
अध्ययन में तीन किस्म की 3323 सब्जियों के नमूने लिए गए। पत्तेवाली, फलवाली और जमीन के भीतर होनेवाली। अध्ययन वर्षभर किया गया। पत्तेवाली सब्जियों को छोड़कर अन्य सब्जियों में लेड की सीमा 100 माइक्रोग्राम है। जबकि मप्र में टमाटर में 600 माइक्रोग्राम, तो भिंडी में 1000 माइक्रोग्राम तक लेड मिला। वहां भोपाल, इंदौर, सतना व जबलपुर से 260 नमूने लिए गए।
यही कारण है कि देश में किडनी, ह्दयरोग, मस्तिष्क रोग, डायबिटीज, ब्लडप्रेशर, पेटदर्द, कैंसर और स्वांस-संबंधी बीमारियों की बाढ-सी़ आ गई है। इंसान कोरोना से बचाव करे कि इन खानपान की मिलावटी चीजों से।
जो लोग नशीले पदार्थों का सेवन तक नहीं करते, स्वस्थ जीवनशैली अपनाते रहते हैं, उन्हें भी एकाएक उक्त रोग होने की खबर आती है, तो घर-परिवार हैरान रह जाता है। इसका कारण जहरीली सब्जियां हैं।
सरकारों को चाहिए कि मिलावट के इन सौदागरों से शक्ति से निपटे। दूषणयुक्त सब्जियों के प्रति लोगों को जागरूक करे। कीटनाशकों का इस्तेमाल कम-से-कम करवाए और गंदे पानी की खेती को पूरी तरह बंद करवाए, तभी स्थिति में कुछ सुधार संभव है, अन्यथा आम भारतीयों का मरण तरह-तरह की बीमारियों से निश्चित है।
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