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ब्याज टक्का

Akshay verma 30 Mar 2023 कहानियाँ दुःखद 60338 0 Hindi :: हिंदी

मे अक्षय वर्मा,मैं जयपुर का रहने वाला हूं, मैं मध्यम वर्ग के परिवार से हूं ! मेरे परिवार में हम पाच लोग हैं,मैं मम्मी पापा ओर दो भाई ! हमारे घर की स्थिति कुछ ज्यादा ठिक नहीं थी! हम तीनों की परवरिश करना तोड़ा कठिन हो गया था ! इसलिए मेरे बड़े भाई  को दो साल की उम्र में ही मेरी नानीजी अपने साथ ले गए थे  ! उनकी पढ़ाई लिखाई सब वही हुई थी ! मेरे पापा गोनेर जगदीश जी के मंदिर में कारीगरी का काम करते थे और मेरी मम्मी हाउस वाइफ थी ! पापा की आमधनी कुछ ज्यादा नहीं थी! बस घरखर्च चल जाता था ! हमारा घर बहुत छोटा था, जिसमे दो परिवार रहते थे ! हमारे घर में दो कमरे थे एक कमरे में हम सब रहते थे ओर एक कमरे में ताऊजी और उनकी फैमिली रहती थी! हमारा कमरा  बहुत छोटा था वो तकरीबन 7 फिट चौड़ा ओर 10 फिट लंबा था! जिसमे हम लोग ठीक तरह से सो भी नहीं सकते थे! मेरे पिताजी जब काम पर से घर आते  थे तो वे बहुत थक जाते थे ! क्युकी हमारे पास कोई वाहन नहीं था, तो उनको अपना सफर पैदल ही तय करना पड़ा था! हमारी जिंदगी ठीक-ठाक चल रही थी! एक दिन जब मेरे पिताजी काम पर से घर आ रहे थे ! तब मेरे पिताजी का एक्सीडेंट हो गया था ! आस पास के लोगो ने मेरे पिताजी को हॉस्पिटल में भर्ती करवाया था ! ओर जब ये बात हमारे घर में पता चली तो हम सब के होश उड़ गए थे ! मेरे पिताजी की जांघ की हड्डी टूट गई थी ओर उनके जांघ में ऑपरेशन के द्वारा रॉड रखी गई थी ओर डॉक्टर  ने उनको कम से कम सालभर का पूरी तरह से आराम लिखा था ! अब हम लोग पूरी तरह से टूट चुके थे, क्युकी हमारा घरखर्च उन्हीं से ही चलता था !  हमारी जिंदगी उलझती जा रही थी! घरखर्चा निकलना बहुत ही मुश्किल हो गया था! हमारी स्कूल की फीस,बिजली का बिल, दूधवाले अंकल के पैसे , ये सब अब हम कैसे चुकाए यही सोचते रहते थे ! हमारे पास इतने भी पैसे नहीं थे , की हम अच्छे से खाना भी खा सके ओर दुनिया में किसी से मदद मांगे भी तो केसे क्यूकी इस दुनिया में कोई अपना अपने की मदद नहीं  करता , तो कोई हमारी मदद कौन करने वाला था ! हमारे मामाजी को हमारे हालात के बारे में तो पता ही था मेरे पापा के बहुत मना करने के बाद भी वो मेरे पापा को समझा बुझा के हम सबको खुद के घर ले गए थे , यानी हमारे ननिहाल और वही हम सब रहते थे! मेरी मां दिन भर मेरे पापाजी के पास रहती थी ! हमारे मामाजी हमारी बहुत मदद करते थे ! कैसे जैसे जिंदगी आगे बढ़ती हैं ! नानी के घर हम लोगों को एक डेढ़ महीने से भी ज्यादा हो चुका था! मेरे पिताजी को थोड़ी शर्मिंदगी महसूस हो रही थी! मेरे मामाजी और मेरी नानीजी ने हम लोगों का बहुत साथ दिया था! इसके लिए हम उनके हमेशा शुक्रगुजार रहेंगे! अब हम घर वापस आ गए थे ! पापाजी अब भी ठीक  से चल नहीं सकते थे ! अब घर खर्चा चलाने के लिए पैसे तो चाहिये थे ! लेकिन इस दुनिया में आप किसी से उधार मागोगे तो नहीं मिलेंगे, कर्ज मगोगे तो जरूर मिलेगा उधार और कर्ज में बहुत ही बड़ा अंतर होता है , ये आज पता चला था ! उधार वो राशि है ,जो आप किसी व्यक्ति से पैसे उधार लेते हैं तो वो पैसे आप सीमित समय में उस व्यक्ति को पैसे वापस लौटा सकते हैं और उन पैसे का हमको अतिरिक्त कोई ब्याज नही देना होगा ! लेकिन कर्ज मिलता है , सिर्फ और सिर्फ ब्याज पर यू मान लिजिये की किसी से अगर आप कोई रकम लेते हैं, तो हमें उस राशि का एक सिमित ब्याज चुकाना होगा , और वो ब्याज आपको हर महीने देना होगा और मूल रकम  भी आपको तय किए गए समय पर ही चुकानी होगी !  तो मेरे पिताजी ने भी कर्ज ले लिया,जिससे हमारी स्थिति थोड़ी ठीक हो जाए , लेकिन कर्ज़ लेने के बाद आज तक किसकी स्थिति ठीक हुई है , जो हमारी ठिक होती ! खैर जिंदगी आगे बढ़ती हैं, पिताजी ठिक से न चल पाने के कारण काम पर भी नहीं जा सकते थे ! अब मेरे बड़े भैया भी घर वापस आ गए थे ! उनकी B.A फाइनल ईयर की पढ़ाई पूरी हो गई थी ! और वो एक कंपनी में काम करने लग गए थे ! उनकी शुरूवाती सैलरी 5000 रुपए थी , अब भईया की सैलरी भी आटे में नमक के जैसे थी ! मेरी भी बारवी की पढ़ाई पूरी हो गई थी !  ज्यादा खर्चा बढ़ते देख  मां पास ही के एक स्कूल में साफ सफाई का काम करने जाती थी ! ये हमने देखा नहीं जाता था , हमसे ही क्या दुनिया का कोई बेटा नहीं देख सकता है कि उनकी मां किसी भी तरह का कोई काम करे ! हमारे  बहुत मना करने पर भी मां काम करने जाती थी ! मुझसे ये देखा नहीं जाता था !  समय निकला ! मुझे मार्बल पेंटिंग का काम आता था , तो मेने हमारे पास में  एक अंकल रहते थे , जिनका मूर्ति पेंटिंग में बहुत नाम भी था और उनके पास बहुत काम भी था ! उनको हमारे घर के हालात के बारे में  मेने बताया तो उन्होंने  मुझे बताया दिल्ली अक्षरधाम मंदिर में मूर्ति पेंटिंग का काम हैं , लेकिन काम सिर्फ एक महीने का ही हैं ! मेने सोचा चलो एक महीना तो काम करे बाकी भगवान जी और काम देगे ।  मेने मां को इस बारे में बताया मां ने कहा अच्छी बात हैं  बेटा जो तेरा मन हैं  वो कर लेकिन खुश रहना और अपना ध्यान रखना  ! अब उनका आशीर्वाद लेकर  मैं दिल्ली अक्षरधाम मंदिर काम करने के लिए वहा गया था ! वहा एक महीने का काम था उस काम से जो पैसे मिले वो में मां को दे दिए थे ! वो मेरी पहली  कमाई थी 11000 रुपये मां के आंख में खुशी के आसू थे !  केसे जैसे समय निकला । अब भाई तो ज्वेली कंपनी में थे ही , उनकी तनखा में थोड़ी बहुत बड़ोतरी हुई थी । केसे जैसे हालात सुधरने लगे थे ! मेरे बड़े भईया की शादी तय हो गई थी और कुछ समय बाद उसकी शादी भी हो गई थी ! भईया की शादी में हमने ज्यादा खर्चा नहीं किया वो एक सामान्य शादी थी ! लेकिन खर्चा तो आज कल किस चीज में नहीं होता लेकिन जो भी खर्चा हुआ भईया ने वो सारे पैसे अपने हिसाब से  उनके जो मित्र थे उनसे लिए थे ! अब भईया भाभीजी के रहने की दिक्कत आ गई थी ! हमारे ताऊजी ने खुद का प्लॉट बना ही लिया था ! तो उनका कमरा  हमने किराए पर ले लिया था ! अब वो घर हमारे लिए बहुत छोटा पड़ता था , एडजस्ट करें भी तो कब तक, एक साल से ज्यादा निकल जाता है !  अब एक नन्नी परी का हमारे  बीच स्वागत हुआ था ! हम सब के लिए  बहुत ही खुशी का दिन था हम सब बहुत खुश थे , मां पापा मैं ! जिंदगी आगे बढ़ती हैं !  अब हमारे रहने के लिए घर बहुत छोटा पड़ता था !  तो हमने बड़ा घर देखाना शुरू किया बड़ी मुश्किलों के बाद एक घर पसंद आया था !  जो था बिल्डर देवेंद्र चौधरी का घर की किमत 14 लाख रुपये !  बिल्डर ने हमसे कहा  आप 21 हजार रुपये दे दिजिये और 1 लाख  रूपए कुछ समय बाद में देना होगा  बाकी लोन हो जाएगा ! उसने हमैं खुद की बातो से ये विश्वास दिलाया की  मकान हमारा होगा ये बात भी सच ही मकान मिलने की खुशी ही अलग होती है ! जो की हमको अभी तक मिली भी नहीं थी ! उस बीच मेरी भी नोकरी एक प्राइवेट कंपनी में लग गई थी ।अब सबसे बड़ी दिक्कत पैसे की थी अब हम पैसे कहा से लाए ! केसे जैसे 21000 रुपए पिताजी ने उनके मित्र से ब्याज पर लेकर देवेन्द्र भईया को दे दीये थे ! देवेंद्र भईया ने 21000 रुपए की रसीद हमको दे दी थीं ! देवेंद्र भईया ने मेरे ओर भईया के डॉक्यूमेंट्स लिए जिसमें था हमारा बैंक स्टेटमेंट आधार कार्ड , पेन कार्ड आदि । देवेंद्र भईया ने बोला अब में 1 महीने में  आपका लोन करवा दुगा ! आप बाकी पैसे का भी  इंतजाम कर ले ! अब पिताजी ने फिर से एक लाख रुपये ब्याज  पर ले लिए थे ! एक दो दिन  बाद मेरे पास देवेंद्र का फोन आया देवेन्द्र ने हमसे कहा इस मकान पे लोन नही हो पा रहा है ! आप  दुसरा  मकान देख  लीजिए अब मरता क्या नहीं करता हमने दुसरा मकान देखा वो  मकान मां पापाजी को पसंद भी नहीं आया तो उन्होंने हमको बहुत से और मकान दिखाए लेकिन कोई भी पसंद नही आया ! कोई घर बहुत महगा होता तो कोई घर बहुत ज्यादा दूरी पर था ! हमने देवेंद्र बिल्डर को बोला भैया आप हमको पैसे वापस दे दो ! देवेंद्र भैया बोले पैसे तो वापस नहीं मिलते मकान ही लेना होगा ! अब बिना मनपसंद लड़की से शादी थोड़ी कर सकते हैं , हमने खूब हाथ जोड़ें लेकिन देवेंद्र भईया तो टस से मस तक नहीं हुए थे! हमने सोचा कोर्ट केस कर देते हैं तो मेरे एक दोस्त जो वकील है , उसने बोला भाई कोट कचहरी के चक्कर में पडेगा तो और पैसे लग जाएंगे ! बिल्डर से पैसे प्यार से बात करने से ही मिलेंगे ! अब भैया को हम सब ने मिलकर बहुत प्यार किया मतलब के प्यार से समझाने की कोशिश की लेकिन भैया कहा समजने वाले थे ! हमने हर तरह की कोशिश की लेकिन हम पैसे वापस लेने में नाकाम रहे ! अब भला 21000 रुपए छोड़ भी केसे सकते थे हमारे लिए तो वो बहुत बड़ी रकम थी ! हमारे पैसे वापस ना मिलने से हम बहुत दुखी थे ! हार के हमने ही सोच लिया की पैसा तो गया किस्मत थोड़ी ले गया उसे खुश रहने दो ! उस दिन एक चीज सिखी की अनजान आदमी पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिये ! जिंदगी आगे बढ़ती हैं , हमने बहुत मकान देखे  लकिन कभी पैसे की वजाह से अटक जाते तो कभी मकान पसंद नहीं आता ! खूब कोशिशो के बाद भी  हमको मकान नहीं मिला  मकान डूंडते डूंडते सालभर गुजर चुका था ! कुछ समय बाद भैया के एक लडका हो गया ! जेसे जेसे परिवार बढ़ता गया हमारा घर और छोटा होता गया ! वो जो एक लाख रुपये थे उनमें से 21000 रुपए जिनसे लिए थे उनको वापस कर दिए थे बाकी के 79000 रुपए में से भैया के बच्चों का जलवा का कार्यक्रम करने में और जो थोड़ा बहुत पैसा बचा था वो भी खतम हो गया! अब हर महीने 1580 रुपए का ब्याज चालू था ! ये ब्याज मैं और भईया दे देते थे ! वक्त आगे बढ़ता  है ! हमने एक और मकान देखा किस्मत से जहां हमने मकान देखा उसके पास मेरे मोसी के साथ काम करते एक भैया का भी मकान था तो उनके माध्यम से हमने मकान देखा  बिल्डर का नाम राकेश गुप्ता था उसका नाम मेने बदल कर राकेश कुत्ता रख दिया था! अब आप सोचेंगे वो क्यों तो इसके बारे में आपको आगे पता चलेगा !  हमको पता था इस बार कोई धोखा ​​नहीं खाना है , लेकिन हमारी किस्मत में तो गोबर ही लिखा  हुआ था ! मोसी के ऑफिस मे काम करने वाले  उन भैया से पता चला बिल्डर बहुत अच्छा आदमी है ! कुछ समय बाद हमारी राकेश से मुलाकात हुई । पहली मुलाकात में ही वो  भी हम सब को ये विश्वास दिला देता हैं की अब हमारा खुद का और बड़ा मकान होगा ! लेकिन पता नही था न की ये कुत्ता तो देवेन्द्र का भी बाप निकलेगा ! राकेश बिल्डर  ने बोला में आपको खाली जमीन पे एक अलीशान घर बना के दुगा जो सालो तक एक पहाड़ के जेसे खड़ा रहेगा , और कुछ भी दिक्कत आएगी जेसे की टूट फूट या और कुछ भी तो वो सब मेरी जिम्मेदारी वो भी 15 साल तक !  हमने उससे पूछा कितने का दोगे मकान पुरा बनाकर तो राकेश बोला 12,50,000 रुपए में 62 गज का मकान पूरा कॉम्पलिट बना के दुगा! हमने उससे पूछा भईया कितने  पैसे  देने  होगे  डॉनपेमेंट के तोर पर तो राकेश ने  बोला सर देखो मेरी ओर बिल्डरों के जेसी आदत तो है नहीं की पार्टी से जूठ बोलकर  पैसे ले ले और बोले बस इतने से पैसे दे दीजिए बाकी लोन हो जाएगा ! मैं एक ईमानदार बिल्डर हूं साफ बोलता हूं सर आप लोगों को कम से कम  2,50,000 रुपये तो देने होंगे बाकी का लोन हो जाएगा ! हमने कहा वो लोन कोन करेगा तो राकेश ने बोला वो सब मेरी ज़िम्मेदारी है , मैं करवा के दुगा लोन आप बुकिंग राशि 50,000 रुपए जमा करवा दीजिए और  फिर आपके महल के मालिक आप होगे ! वो अपनी बातो से हमको जन्नत की सैर करवा रहा था ! हम सब को भी जन्नत की सैर करने में मजा आ रहा था ! राकेश तो फेकने में नीरज चोपड़ा जी से भी 100 कदम आगे था , उन्होने भाला फेक्कर अपना और देश  का नाम रोशन किया था ! और राकेश  मुह से जुठ बोल बोल कर अपने मां बाप का नाम डूबो रहा था ! लेकिन हम लोगो को कहा पता था की जन्नत की सेर के बाद हम सीधे नाले मे आकार गिरेंगे ! हम घर आए उसकी बातो से इतना यकीन हो गया था मानो की हम सच में महल में जाने वाले हो ! लेकिन मन में डर था कि ये भी देवेन्द्र की तरह धोखा ना कर दे ! लेकिन मेरी मौसी के मित्र ने जो राकेश के बारे में तारीफ की थी उससे हमको लगा हर बिल्डर थोड़ी एक जैसे होते हैं ! हम बहुत खुश थे , अब इन खुशियों के बिच याद आया की शादी करने से पहले रोका करना बहुत जरुरी होता हैं ! उसी तरह घर लेने से पहले चाहिए पैसे वो भी पूरे 2,50,000 रुपए ! अब पापाजी किससे पैसे लेते तो ये जिम्मेदारी मेरे और भैया के कंधे पे आ गई !  अब पैसे लाए भी तो कहा से परिवार के रिश्तेदार से भी नहीं माग सकते थे !  क्योंकि हमको पता था वो देंगे ही नहीं  ! मैं जिस कंपनी में जाता था वह मुझे लगभग साल भर हो चुका था ! जो भैया मेरे ऑफिस मैं थे , उनका फैमिली बैगग्राउंड बहुत अच्छा था वो बहुत पैसे वाले भी थे उन्होंने ब्याज पर पैसे देने का काम शुरू ही किया था ! लेकिन वो भईया सिर्फ और सिर्फ जानकारी में जो लोग हैं उनको ही पैसे देते थे अनजान लोगो को नही ! उन्होंने एक दिन मुझसे भी कहा था कि कोई अच्छा आदमी  ब्याज पर पैसे लेने वाला हो तो बताना ! अब भगवान जी ने हमारी सुन ली ! मैंने उन  भईया को मेरी परेशानी के बारे मैं बताया   ओर मेने उनसे कहा भईया प्लीज आप मेरी मदद कर दीजिए अगर आप 2,50,000 रुपए दे देगे तो हमारा भी घर होगा ! मेने बोला मैं धीरे धीरे आपके पूरे पैसे दे दुगा ! तो उन्होने पैसे देने के लिए  हा कर दी ! उन्होंने बोला ठीक हैं मैं दे दुगा पैसे तुझको लेकिन  2% ब्याज लगेगा यानी की 5000 रुपये महिना का ब्याज देना होगा और मूल रकम 1 साल के अन्दर लोटनी होगी ! ये सुनकर मेरे तो तोते उड़ गए उस दिन आटे  दाल का भाव समझ आया ! लेकिन रोका करना भी बहुत जरुरी था तो मैंने उन भैया को बोला भैया में पापाजी से पूछकर आपको जवाब देता हूं जब घर पर पापाजी से बात हुई तो वे बोले  बेटा पैसे ऐसे ही मिलते हैं ! पापाजी ने बोला बेटा बिना ब्याज के कोई पैसे नही देता ! घर लेना हैं तो ये तो करना ही पड़ेगा ! हमारे पास और कोई रास्ता भी नही था !  मेरी सैलरी उस वक्त 10000 रुपये थी ! मेने अगले ही दिन उन भईया को पैसे के लिए हा बोल दि ! उन्होंने मुझसे कहा मैं कल पैसे बैंक से निकलवा कर ले आऊंगा लेकिन तु कल तेरा एक चेक ले आना ! मेने बोला भैया ये क्यू तो उन्होंने बोला  सिक्योरिटी के तोर पर में चेक लेता हु! मैने उनको हा बोल दिया अगले दिन भैया पैसे मुझे दे देते हैं और मैं उनको मेरा चेक दे देता हु ! मेरे हाथ में पैसे आते ही मानो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था ! बलेही वो पैसे मेने ब्याज पर लिए हो ! जैसे अब हमारा घर लेने का सपना शायद पुरा होने जा रहा था ! कुछ दिनो बाद हम राकेश से मिलते हैं और उसे बुकिंग राशि जो की 50,000 रुपए थी वो मेरी मां के हाथ से उसे दिलवा दिए थे !  राकेश 50000 रुपए लेकर एक रसीद हमको दे दी थी ! अब राकेश हमको बोलता है 2 महीने में आपका लोन भी हो जाएगा और आपका मकान भी तैयार  हो जाएगा ! राकेश ने बोला आप 2,00,000 रुपए भी जल्दी ही दे दीजिए जो लोन मिलने में आसानी हो जाएगी ! हमने राकेश को बोला भईया हम जल्दी ही आपको पैसे दे देगे ! हम सब बहुत खुश थे , मानो जिंदगी की सारी खुशिया हमको  मिल गई हो !  हम सब घर आ जाते हैं भाभीजी  ने इस खुशी में दाल बाटी बनाई थी , जो की मेरी पसंदीदा थी हम सब स्वादिष्ट खाना खा कर सो गए थे ! उसके चार पांच  दिन बाद हम उसे 200000 रुपये भी दे दिए थे ! अब हमने साथ जाकर एग्रीमेंट करवा लिया था !  एग्रीमेंट में  पूरी जानकारी लिखी थी और वो सारी बाते जो हमें बीच तय हुई थी ! एग्रीमेंट होने के बाद राकेश बोलता हैं अब में बैंक वाले से बात करता  हू , फिर  आपके लोन की फाइल प्रॉसेस होगी ! ओर जल्दी ही लोन हो जाएगा ! अब दो तीन दिन बाद राकेश का फोन आया वो बहुत दुखी था ! उसने बोला अक्षय भैया तोड़े पैसे की जरूरत है कहि से भी पैसे नहीं आ रहे  है कृपया आप एक लाख और मुझे दे दो ! समझ नहीं आया की ये हो क्या रहा था , मेने बोला भैया आपको जो पैसे देने थे वो तो  हमने पुरे दे दिए ना अब ये अतिरिक्त एक लाख रुपए कहा से दू ! राकेश ने बोला अरे नहीं भैया मैं कोई प्रॉबलम  में फस गया हु ! आप मुझे अभी एक लाख रुपए  दे दो ये पैसे तो मैं आपको रजिस्ट्री के टाइम  वापस लोटा दुगा ! मैंने बोला भइया अभी तो एक पैसा भी नहीं है ! राकेश बोला अक्षय जी आपके हाथ जोड़ता हूं कृपया मदद कर दो मैं आपको रजिस्ट्री के समय वापस कर दूंगा मेरा वादा है ! मैंने राकेश भैया को बोला क्या हो गया भैया ऐसा आप बता सकते हो तो बता दो ! राकेश ने बोला आपको नहीं बता सकता तो मैंने भी ज्यादा जिद नहीं की मैंने उसे बोला भैया में कोशिश करता हूं अगर पैसे का इंतज़ाम हो जाता है तो मैं आपको जरूर दे दुगा अब अगले दिन मैंने फिर ऑफिस में जो भैया हैं उनसे बात की ओर उनको सब कुछ बताया  मेने उनको   बोला भइया बस ये मदद ओर कर दो आपका बड़ा एहसान होगा ! उन्होंने ये पैसे देने के लिए भी हा कर दी और मैंने राकेश को फोन करके बोल दिया की ले लेना आप पैसे वो बहुत खुश था ! लेकिन अब हम लोगो को दुखो का भंडार मिलने वाला था ये तो हमको पता ही नहीं था !  भैया ने मुझे अगले दिन पैसे दे दिए ओर  मेने पैसे राकेश को देने से पहले बोला भैया एग्रीमेंट दुबारा करवा ले तो राकेश ने बोला अक्षय भैया मेरी जुबान पे विश्वास रखो आपके पैसे में दे दुगा जब भी रजिस्ट्री होगी मेरा विश्वास तो करो   हम पहले ही धोखा खा चुके थे ! लेकिन गरीब की लुगाई सबकी भाभी होती है और  ये कहावत उस दिन सच हो गई !  राकेश को मैंने पैसे दिए हैं ये बात मैंने घर में नहीं बताई ! राकेश को पैसे देकर मेने बोला भैया आप ये पैसे रजिस्ट्री  के समय पर वापस दोगे ! राकेश ने बोला हैं भैया आप निश्चिंत रहो अब राकेश के पास हमारे  3,50,000 रुपये दे चुके थे ! मेने राकेश को बोला भईया अब जल्दी से हमको हमरा घर बना के दे दो राकेश बोला समझो  घर आपका हो गया सच में बहुत खुशी मिलती है ये सब सुन कर राकेश ने बोला बैंक वाले आपसे खुद आकार मिलेगा जो भी औपचारिकताएं हो वो आप पूरी करवा लेना कोई भी परेशानी आए तो मुझसे बात करवा देना मैंने बोला ठीक है भैया  ! राकेश को तो पैसे मिल गए लेकिन अब कुल ब्याज 8580 रुपये हो गया था जो हर महीने चुकाना था!  10000 रुपए सैलरी थी और ब्याज था इतना सारा हम लोगो को तो ये टेंशन ओर थीं मूल रकम हम चुकाएगे केसे ! अगले दिन एक कॉल आया सामने से उन्होंने बोला  आप अक्षय जी बोल रहे हैं  मेने बोला जी सर बतायें तो वो बोले मेरा नाम मनोज हैं  उन्होंने मुझसे घर के लोन के सिलसिले में मुझसे बात की ओर बोले आप मेरे ऑफिस आ जाइए लोन के लिए फाइल लगानी है तो हमको कुछ दस्तावेज और 10000 रुपये भी साथ लाने को बोला ! मेने उससे पूछा सर 10000 रुपए  किसलिये , तो वे बोले  सर फाइल प्रॉसेस चार्ज देना पड़ा है और उन्होंने अपना एड्रेस बता कर फोन रख दिया ! मेने  राकेश से फोन पर बात की ओर  मेने उसे बताया कि बैंक वाले भईया इतने पैसे मांग रहे हैं तो राकेश बोलता है ये तो देना ही पड़ेगा ! अब जिंदगी में जो खड्डे हैं उनको भरना तो पड़ेगा ही ! मैं  सारे दस्तावेज ओर 10000 रुपए लेकर उनके ऑफिस गया ! उन्होंने  सब दस्तावेज और पैसे ले लिए  और बोले  एक दो दिन मैं आपकी फाइल प्रॉसेस हो जाएगी मैं आपको  एक दो दिन में में कॉल करूंगा मैं वहा से सीधा ऑफिस चला गया!  अब यहीं से हमारी जिंदगी की उलटी गिनती चालू होती हैं ! दस दिन से जायदा निकल जाते हैं , ना ही लोन होता है ना ही मकान का कुछ आता पाता !  बैंक वाले भैया हमको हर रोज जूठा दिलासा देते रहते थे  कभी क्या कहते थे तो कभी क्या , हम राकेश को फोन करते थे तो वो हमारा फोन नहीं उठाता हम बहुत परेशान हो गए थे ! उसके ऑफिस जाते तो वो मिलता नही था अब कब तक आफिस से छुट्टी लेकर या हाफ डे लेकर उसको डूडते रहते ! बहुत सारे फोन करने के बाद एक दिन उसने गलती से  मेरा फोन उठा लेता था , तो मेने  बोला भैया क्यों परेशान कर रहे हो आप हमने आपका क्या बिगाड़ा हैं ! आपको कितने फोन किए कितनी बार आपके ऑफिस गए आप मिलते नही हो ! अब राकेश के स्वर बदल गए उसने बोला ये कोई खाने का निवाला नही हैं काम काम के हिसाब से होगा आपके कहने से लोन नहीं हो जाएगा हर चीज में तोड़ा वक्त लगता हैं और ये बोल कर फोन रख देता हैं ! उस दिन पता चला बिल्डर केसे होते हैं । हमने क्या सोचा था और क्या निकला । अब हम घर के रहे ना घाट के समझ नही आ रहा था करे भी तो क्या ! अब हमने मौसी के मित्र को राकेश की हरकतों के बारे बताया ये सोच कर की शायद वो हमारी कोई मदद कर सके ! उन्होंने भी कोशिश की लेकिन कोई फायदा नही हुआ अब उन भईया को भी उसके असली रूप के बारे में पता चल चुका था उन्होंने मुझे बोला आप थोड़ा सब्र करो अगर कुछ नही होता तो हम पुलिस में रिपोर्ट करेगे !  मैं हर दिन उसको कॉल करता था , राकेश फोन नहीं उठाता था और अगर फोन उठा  भी लेता था तो बोलता था बार बार फोन मत कर ! जब मुझे  टाइम मिलेगा मैं खुद  कर लूगा तुझे कॉल और  ऐसा बोल कर फोन कट कर देता था ! वो ऐसी बात बोलता मानो हम पर कोई एहसान कर रहा हो ! मुझे एक बात पता थी कुत्ता जब भी मुंह खोलता हैं तो वो सिर्फ और सिर्फ भोकता ही हैं ! यही राकेश हमारे साथ कर रहा था ! यहां हमारा एक एक दिन नरक होता जा रहा था और भाईसाब को कोई चिंता नहीं  थी ! जब माँ  घर के बारे में पूछती तो मैं मां को क्या जवाब देता ! तो मेने मां को बोला मां थोड़ा टाइम लगेगा लेकिन हो जाएगा लोन ! समय आगे बढ़ता है देखते देखते पांच महिने से भी ज्यादा निकल गए थे ! डर इस बात का नही था की वो हमको पागल बनाए जा रहा था ,  डर इस बात का था जो पैसे राकेश ले रखा उसका ब्याज  फ्री फोकट में चल रहा था , डर इस बात का भी था की आस पडोस में सबको पता चल गया था की  हम घर ले रहे हैं तो वो भी मजाक बनते थे क्योंकि मकान का तो पता नहीं था !अब सपने महल के नहीं आते थे क्यों की निंद ही गायब हो गाई थी तो सपने क्या खाक आएंगे  ! अब कुछ दिनो बाद मेरे पास  बैंक वाले भईया जिनका नाम गोविंद सोनी था , उनका फोन मेरे पास आया और वे बोले आपके होमलोन के सिलसिले में आपसे बात करनी हैं क्या आप और आपके भईया मुझसे मिल सकते हैं तो मेने तुरंत हा बोल दी और मिलने का टाइम सैट कर लिया !  में ओर मेरे बड़े भाई ऑफिस से छुट्टी लेकर उनसे मिलने गए ! गोविंद सोनी भईया ने हमसे बोला आप दोनो का बैंक स्टेटमेंट आप मुझे इस मेल आईडी पर मेल कर दीजिए और कल मेरे सर आप दोनो के ऑफिस आकर वेरिफाई करेगे बैंक वाले आपसे बात करेंगे !  अगले दिन एक सर मेरी  ओर भईया की कंपनी आकर वेरिफाई कर गए ! सारी फॉर्मेलिटी पूरी हो गई थी ! कुछ दिनों बाद गोविंद जी का मेरे पास  कॉल आया और गोविंद भईया ने  बोला की आपके भईया का 4700 रुपये का एक चेक दे ​​दिज़िये ! चुकी उनकी सेलरी मुझसे ज्यादा थी , तो लोन अप्रूव्ड उनके नाम से ही हुआ था ! गोविंद भईया ने बोला ये क्लीयर होने के बाद ही लोन होगा ! ये चेक किसी हाल में भी बाउंस नही होना चाहिए तो हमने चेक दे दिया ! बैंक वालो ने और राकेश ने मिलकर हमारा पूरा खून चूस लिया था ! कुछ समय बाद  हमको बैंक वाले बोले की आपका लोन पास हो गया है ! ये सुनने के बाद हमारी खुशी का तो ठिकाना ही नहीं था जो लोन पास हुआ था ! उसकी राशि दस लाख थी ! उन्होंने  बोला आप आपके भाई मम्मी पापा और भैया की पत्नी सब कल सुबह हमारे ऑफिस इस एड्रेस पर आ जाए !  बैंक की औपचारिकताएं पूरी करनी थी ! मैने पूछा  सर मासिक किस्त कितने की आएगी तो उन्होंने मुझे बोला सर आप कल आ जाइए सारी जानकारी आपको कल मिल जाएंगी ! हम सब लोग अगले दिन वहा चले गए ! भईया भाभीजी मां ओर मुझसे बहुत सारे डॉक्यूमेंट्स पर सिग्नेचर करवा लिए जेसे कोई पूरा बैंक हम लोगो के नाम करवा रहे हो ! हम लोगो ने ये भी नही पूछा की ये साइन क्यों ओर किसलिए करवा रहे थे ! हम लोगों को ऐसा लगा अगर पूछ लगे तो हमको कही घर वापस ना भेज दे ! घर मिलने की खुशी में कुछ समझ नहीं आ रहा था ! अब सारी औपचारिकताएं पूरी हो गई थी ! उन्होंने लोन की पूरी डिटेल हमको बताई की हमारे लोन की मासिक किस्त 12500 रुपए की आएगी और उन्होंने बताया 6 महीने बाद आपको 260000 रुपए की सब्सिडी मिलेगी , जिसके बाद आपके लोन की किस्त लगभग 8000 रुपए हो जाएगी !  लेकिन लोन के जो दस लाख रुपए थे उसमे से हमको केवल 950000 रुपए ही मिले थे ! उन्होंने हमसे कहा 50000 रुपए इंसोरेंस के कटेंगे ! अब एक नया बॉम हम लोगों पर फूट चुका था ! हमने सोचा चलो भगवान जी की कृपा से कम से कम लोन तो हुआ ! अब आई बारी रजिस्ट्री की तो हमको बताया गया की कम से कम 90000 रुपए रजिस्ट्री के लगेंगे ! अब उन पैसों की परेशानी तो थी नही वो तो राकेश हमको देने वाला था ! अब रजिस्ट्री करवाने का दिन आया। तो  मैंने राकेश को फोन किया , मेने बोला भैया कब करवाओगे रजिस्ट्री तो राकेश बोला जब आपका मन हो लेकिन उस कुत्ते ने पैसे देने से साफ मना कर दिया ! राकेश जैसा इंसान मेने मेरी जिंदगी में नहीं देखा था ! जो खुद की तारीफों के पुल  बांधता था ,  साला कामिना ! अब ये नई माताफोदी अब ये पैसे कहा से लाए ! कार्यालय मैं  उन भैया से भी नहीं माग स्कता था ! अब बगवान जी की फिर से कृपा हुई और हमारी मौसी ने हमको 100000 रुपए अपने किसी जानकार से डेढ़ परसेंट ब्याज पर  दिलवा दिए ! यानी की 1500 रुपए महीना ब्याज चलो 2 परसेंट से तो अच्छा ही था !  टोटल ब्याज मिलाकर हुआ 10080  रुपए जो मेरी सैलरी से भी ज्यादा था !  खेर हमारे घर की रजिस्ट्री हो गई थी ! अब बैंक ने राकेश को दिया साढ़े नो लाख रुपए और हमने दिया साढ़े तीन लाख टोटल उसके पास पैसे गया साढ़े तेरह लाख रुपए !  अब  हम उसमे पचास हजार मागते थे , लेकिन वो कुत्ता पैसे वापस कहा देने वाला था ! उसके बहुत हाथ जोड़े लेकिन वो कुत्ता था हैं और रहेगा ! इतने दुखो के बाद अब घर हमारा हो चुका था  ! इस खुशी के बीच करोना ने कमर तोड़ दी थी ! दो महीने लॉकडाउन लगने से सब कुछ बर्बाद होने लगा था !   लेकिन बैंक ने किस्त माफ नही की हमने घर का मूरत किया या हम 27 जुलाई 2019 को नए घर में परवेश कर दिया अब  का ब्याज चुकाने का जिम्मा मेरे सर आया और मकान की किस्त भईया के माथे ! अब बात करे राकेश गुप्ता के महल की जो सालो तक चट्टान की तरह खड़ा रहने वाला था ! उस महल की फर्श की टाइल दो महिने के अंदर ही टूट गई घर में जो नल लगे थे उनका धड़ अलग ओर सर अलग ! घर की दीवारों से पापड़िया उतरने लगी ! अब नए महल में टूटी टाइल कहा शोभा देती , राकेश को फोन किया तो वही कुत्ते की दुम को कभी सीधी नही हो सकती थी ! एक दिन राकेश की कृपा हम पर हुई और उसने फोन उठा लिया ! तो  मेने बोला भैया सालो तक घर की जिम्मेदारी आपकी थी आप आकर देखो एक बार घर की हालत । तो बड़े भई साहब बोले मकान हैंड ओवर करने के बाद मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है ! ये बात सुन कर मुझे कुछ ज्यादा अफसोस नहीं हुआ लेकिन कसम से उस दिन दिल किया उस कुत्ते  को जान से मार दु ! पूरे तेहरा लाख देगे के बाद भी ये देखने को मिला ! केसा जमाना आ गया अब गरीब आदमी कर भी क्या सकता है ! हमने कारीगर को बुलाया नई टाइल लगवाने को तब पता चला टाइल टूटेगी क्यू नहीं साला टाइल के नीचे तो सिर्फ और सिर्फ मिट्टी थी ! बजरी और सीमेंट का तो नामो निशान नहीं था ! चलो कोई ना जो जेसा करेगा एक दिन वेसा ही भरेगा ! ओर रही बात बैंक वाली की तो जो सबसीडी हमको 6 महीने में मिलने वाली थी वो कभी नही मिलेगी । आगे बढ़ते हैं ! कोरोना का कहर बहुत ही भयकर रूप ले चुका हैं ! अब मेरी जिंदगी में भी करोना जेसे एक वायरस की एंट्री होना बाकी था ! मेरी लाइफ तारक महता के सीरियल में काम करते जेठालाल जी जैसी हो गई थी ! एक परेशानी खत्म तो दूसरी शुरू , उनमें ओर मुझ में एक चीज कॉमन थी ! वो रील लाइफ में परेशान हैं और मैं रियल लाइफ में दुखी था ! लेकिन उनको जब कोई परेशानी आती थी तो उस परेशानी से निकलने के लिए उनके साथ हमेशा खड़े रहने वाले थे उनके फायर बिग्रेड मिस्टर तारक महता ! लेकिन मेरी जिंदगी में कोई तारक महता नही थे !  एक तारक महता हैं , जिसमे मेरा  दुख की घड़ी में  साथ दिया उस वक्त जब मेरे साथ कोई नही था । उसके बारे में आप लोगो को आगे पता चलेगा । आगे बढते हैं , मुझे क्या पता था इसके बाद मेरी जिंदगी नरक जैसी हो जाएगी  !  घर लेने के बाद 5,29,000 रुपए का कर्ज ओर ब्याज की रकम 10080 रुपए थी ! जो मुझे ही चुकानी थी ! जिसका सिर्फ ब्याज ब्याज मेरी सैलरी से ज्यादा था ! अब हर महीने ब्याज देता देता में दुखी हो गया था , और बची कुची जिंदगी लॉकडाउन ने बर्बाद कर दी थी , पता नहीं था इस दुख का अंत कब आएगा ! लेकिन जो भूचाल मेरी जिंदगी में आने वाला था , उसके सामने तो ये कुछ भी नहीं था ! आईये  उस भूचाल  के बारे में मैं आपको बताता हूं  ! हमारे पुराने वाले घर के पास एक भईया रहते थे ! उनका नाम परवेंद्र था , और घर में सब उनको चिट्टू बुलाते थे ! हमारी उनसे अच्छी खासी बोलचाल थी ! चिट्टू भईया अपनी फैमिली से अलग  हो गए थे ! उनका परिचय करवाऊं तो मदिरा पान यानी दारू पीने के बहुत ज्यादा आदि थे ! उनके एक 6 साल का लड़का हैं जो की दिव्यांग हैं चिट्टू भईया मार्बल डिजाइन पेंटिंग के इतने तगड़े कलाकार थे की बड़े से बड़ा कारीगर उनके सामने पानी कम चाय था , और दिमाग के इतने तेज की आप लोगो को क्या ही बताए ! मुझे ऐसा लगता हैं की  वो अपनी कमाई  का आधे से ज्यादा पैसे अपने मदिरा पान में खर्च कर देते थे ! एक दिन उनका मेरे पास फोन आया ! उनकी आवाज से लगा की वो बहुत परेशान थे ! उन्होंने बोला भाई कहा हैं मेने बोला भईया फिलहाल तो ऑफिस हु , आप बताइए आज भाई की याद केसे आई ! तो भईया बोले भाई शाम को घर आ सकता है क्या तुजसे बहुत जरूरी काम हैं मेने पूछा भी की मुझे बताए क्या बात हो गई , लेकिन उन्होंने बोला फोन पे नही बता सकता ! शाम को घर आजा बैठ कर बात करते हैं मेने बोला ठीक हैं भईया में आ जाऊगा ! मेरे ऑफिस की छुट्टी हुई मेने पहले मां को फोन करके बोला की मैं पुराने घर जाकर आऊंगा !  चिट्टू भईया ने बुलाया हैं , शायद कोई काम होगा ! मां ने बोला ठीक हैं बेटा लेकिन जल्दी आ जाना घर वापस  ! मेने बोला ठीक हैं मां मैं आ जाऊंगा जल्दी घर वापस ! मैं ऑफिस से सीधे उनके घर गया ! तो वो ड्रिंक कर रहे थे ! मेने उनको बोला क्या चिट्टू भईया कब छोड़ोगै इस गटर के पानी को ! कोई इतना पानी नहीं पीता जितनी आप दारू पी जाते हो ! तो उन्होंने नीचे स्वर में बोला की भाई ये तो मैं मरुगा तब ही छूटेगी ! उनकी बातो से और उनके हताश स्वभाव से मुझे पता चल गया था कोई तो बात हैं ! मेने उनसे पूछा क्या हुआ भईया आप क्यू इतने दुखी हो ! तो उन्होंने बताया यार मैं दो महीने पहले बाहर काम करने गया था ! कोई साथ जाने वाला नही मिला जो मेरा काम में मेरा साथ दे दे ! तो मैं अतुल को ले गया यानी की उनका छोटा भाई ! अब यार पार्टी ने पैसे नही दिए और ना अब दे रही हैं बस आज कल आज कल करे जा रही हैं ! तो मेने बोला भैया इसमें प्रॉब्लम क्या हैं अतुल को बोल दो पेमेंट आएगा जब मैं अपने आप दे दुगा ! आखिर भाई हैं आपका इतना तो विश्वास होगा ही उसको ! तो उन्होंने बताया नही भाई वो जाने से पहले  ही बोल दिया था की मुझे काम पूरा होते ही पैसे चाहिए ! अब मुझे क्या पता था पार्टी पैसे अटका लेगी ! यार भाई वो मुझे रोज परेशान करता हैं ! मैंने पार्टी से परसो बात करी थी , वो दस दिन में पेमेंट मेरे अकाउंट में डाल देगे ! मेने बोला भैया बताइए इसमें मैं क्या कर सकता हु ! तो वो बोले भाई तू मुझे 1 लाख रुपए दिलवा दे बस एक महीने के लिए वैसे तो अपने पास पैसे दस दिन में आ जाएंगे लेकिन फिर भी तू एक महीना तो मानकर चल ! एक महीने में जो भी ब्याज होगा उस समेत अपन पैसे वापस दे देगे ! मेने बोला भैया मैं कहा से करवाऊं , मुझे कोन देने वाला हैं इतने पैसे ! तो उन्होंने बोला कही से भी करवा दे भाई ! घर का मामला हैं आते जाते रोज मेरे कीडा करता हैं ! मैं  मेरी जिंदगी से ज्यादा मेरे भाई  से दुखी हो गया ! ये बोलकर वो पैक पर पैक पिए जा रहे थे और  मुझे खुद की कहानी सुनाए जा रहे थे ! मुझे समझ आ गया भईया को ज्यादा चढ़ गई ! मेने बोला भईया आप एंजॉय करो मैं बहुत लेट हो गया मां इंतजार कर रही होगी , में अब निकलता हु ! लेकिन उन पर तो भवानी सवार हो चुकी थी तो मुझे केसे जाने देते ! वो बोले मेरा इंतजाम करके जाएगा तू आज केसे भी ! अब मैं उनको केसे समजाऊ की हाथ में सरसो नही उगता ! मेने सोचा ये कोनसी फसूंद है ! मेने बोला ठीक हैं भईया में कल किसी से बात करता हु ! उन्होंने बोला नही बात नही पैसे का इंतजाम करना ही हैं ! मेने बोला हा भईया मै आपसे कल बात करता हु , मुझे बहुत लेट हो रहा हैं ! मैं केसे जैसे घर आ गया ! अगले दिन ऑफिस में फिर उनका फोन आ गया ! वो बोले भाई हुई क्या बात किसी से , मेने बोला नही भईया नही हुई अगर कुछ होता हैं तो आपको फोन करके बता दुगा ! मेने कहा अभी थोड़ा काम में व्यस्त हु आपसे फ्री होकर बात करता हु । ये बात बोल कर मेने फोन कट कर दिया ! लेकिन वो तो मेरे फेविकोल जैसे चिपक गए ! दिन में वो जब भी फ्री होते मुझे कॉल कर देते ! अब वो फ्री थे लेकिन मैं फ्री थोड़ी था । लेकिन उनको ये बात कहा पता  थी !  मेने उनको एक दिन कॉल करके बोल दिया भईया माफी चाहता हु , कही से भी पैसों का जुगाड नही हो पा रहा ! वो बोले भाई एक महीने की तो बात हैं जितना भी ब्याज लगेगा एक महीने का मैं दुगा ! समय निकला कर मेने उनकी वाइफ से बात की मेने उनको बोला भाभीजी भईया  तो हाथ मुंह नही नहा धो कर  मेरे पीछे पड़ गए ! भाभीजी ने बोला भैया कही पैसे  हो जाए तो इनको दिलवा दो , ये बहुत परेशान हैं और इनकी वजह से हम ! तो मेने उनको बोला भाभीजी मुझ पर ऑलरेडी बहुत कर्जा हैं अगर भईया पैसे टाइम पर नही चुका पाए तो मेरी तो हो गई न बल्ले बल्ले ! भाभीजी ने कहा नही भईया ऐसा कुछ नही होगा इनके पास पेमेंट आ जाएगा सिर्फ एक महीने की तो बात हैं ! कुछ दिनो बाद मेने चिट्टू भईया को कॉल किया मेरे कुछ कहने से पहले वो अपना गीत गाने लग जाते थे ! मेने बोला भैया मैं आपको कोई जूठा आश्वासन नही देना चाहता ओर ना आप मेरे भरोसे रहना ! में कोशिश करुंगा अगर कही से व्यवस्ता हो गई तो मैं जरूर आपको पैसे दिलवा दुगा ,और नही हुई व्यवस्ता तो आपकी किस्मत ! लेकिन आप मुझे थोड़ा टाइम दो ! उन्होंने बोला जल्दी करवा दे भाई में इस जंजाल से जल्द से जल्द निकलना  चाहता हूं !  अब वो जिस तरह से परेशान होकर बार बार कॉल करे जा रहे थे , मुझे बहुत अजीब लग रहा था ! अब कुछ दिनो बाद उनके घर बैठे थे वो संडे का दिन था ,  किस्मत से उनके पास एक भईया जिनका नाम संजय चौहान था वो बैठे थे ! मैं उनको जानता था ! मेने उनको नमस्ते बोला उन्होंने भी मुझे नमस्ते बोलकर मुझे बैठने को बोला ! मेरे जाने के कुछ देर बाद वो चले गए थे ! चिट्टू भईया बोले हुआ क्या कुछ पैसों का बंदोबस्त ! मेने बोला नही हुआ भईया मेने बहुत कोशिश कर ली ! जब की सच तो ये था , मेने  पैसे के लिए किसी से बात तक नहीं करी थी ! वो बोले ये जो बांदा आया था उसको जानता हैं क्या , मेने बोला जी भईया ! वो बोले ये भी ब्याज पर पैसे देता है मेने बोला नेक्की ओर पूछ पूछ ! आप ले लो इन भईया से पैसे , एक महीने की तो बात हैं फिर वापस तो आप दे ही दोगे ! बोले वो तो हैं लेकिन ये मुझे पैसे नही देगा यार तू इससे बात कर ये तुझे दे देगा पैसे ! उन्होंने बोला यार मैं इससे ले रखा था कुछ टाइम पहले पैसे बस एक दो किस्त टाइम पर नही दे पाया लेकिन मेने पैसे पूरे चुका दिए ब्याज सहित अब वो अपने में एक पैसा नही मांगता ! मेने बोला फिर क्या दिक्कत हैं ले लो आप पैसे एक बार बोल कर तो देखो ! उन्होंने फिर से वही बात बोल दी मुझे नही देगा ! मेने बोला जब आपको नही देगा तो  फिर मुझे कहा से देगा  ! बहुत देर तक जिद बहस चलती रही ! उन्होंने बोला भाई वो फाइनेंस का काम करता हैं ! उसका काम ही ब्याज पर पैसे देना हैं , तू एक बार मेरे कहने से बात करके तो देख लेकिन भाई मेरा नाम मत लेना जो भी बात करनी हैं तू तेरे ईस्टर पर करना ! ओर संजय के फोन नबर मुझे दे दिए । मेने बोला ठीक हैं में करता  हु  बात संजय से  फिर आपको बताता हु! अगले दिन मेने ऑफिस से संजय को फोन किया ! हेलो भईया में अक्षय बोल रहा हूं । परवेन्द्र भईया के घर के पास में रहता था ! आपसे कल मुलाकात भी हुई थी उनके घर पर , तो उन्होंने मुझे पहचान लिया ! एक दूसरे का हल चाल पूछने के बाद मैं मुद्दे की बात पर आया ! उन्होंने पूछा बताओ भईया केसे याद किया , तो मेने उनको बोला भईया मुझे पता चला हैं की आप फाइनेंस का काम करते हैं तो मुझे कुछ पैसों की जरूरत थी बस एक महीने के लिए ! तो उन्होंने मुझसे पूछा कितने पैसे की जरूरत हैं , तो मेने बोला भईया एक लाख रुपए ! उन्होंने बोला पहले तो हम किसी को पहली बार में इतनी बड़ी रकम नहीं देते सबसे पहले 20000 रुपए और वो जब 20000 रुपए सही से चूका देता हैं , उसके बाद 50000 रुपए देते हैं ! मेने उनसे बोला भईया मुझे तो एक लाख की जरूरत हैं बस एक महीने के लिए उसके बाद में आपको आपके पैसे ब्याज समेत वापस दे दुगा ! तो संजय भईया ने दो बाते बोली पहली तो ये की आप मेरी जानकारी में हो तो मैं ज्यादा से ज्यादा आपको पचास हजार रुपए दे सकता हु , ओर दूसरी बात ये की मैं एक महीने के लिए नही दे सकता ज्यादा से ज्यादा में  पचास हजार रुपए की किस्त कर सकता हु दस महीने के लिए अगर आपके समझ आए तो ले लो ! साथ ही में उन्होंने बताया की  आपका एक ब्लैंक चेक एक स्टाम्प और आपकी एक आईडी  की फोटोकॉपी लगेगी ! मेने पूछा भईया किस्त कितने की आएगी हर महीने , तो उन्होंने बताया सात हजार रुपए महीने की दस किस्त ! मेने बोला ठीक हैं में आपको बताता हु! मेने चिट्टू भईया को कॉल किया और जो भी मेरी संजय से बात हुई थी , मेने उनको बता दिया !  चिट्टू भैया बोले एक लाख रूपए नही दे रहा क्या वो , मेने बोला पचास हजार के लिए ही बड़ी मुश्किल से राजी हुआ हैं । तो  चिट्टू भैया बोले  चल भाई ये इतने तो ले , जो अतुल को इतने  पैसे तो  दे दू । अभी अतुल को पचास हजार दे दुगा तो थोड़ा बहुत  तो शांत होगा । तू पच्चास हजार तो लेले संजय से । मेने बोला ऐसे केसे ले ले , वो चेक स्टाम्प मेरी आईडी  ले रहा हैं ! अब हर महीने मेरी टेंशन भैया मेरे वैसे ही बहुत सारी प्रॉब्लम हैं ! मेरे तो मेरी खुद की हालत नही रही सुधर रही ऊपर से हर महीने ये टेंशन और तो वो बोले क्यों तुझको क्या टेंशन मैं तेरी बात थोड़ी खराब होने दुगा पागल । मेने बोला भैया आप किसी महीने किस्त टाइम से नहीं दे पाए तो वो तो ये जानता हैं की पैसे मेने लिए हैं । अगर उसको टाइम पर किस्त नही मिली तो वो तो मेरी बैंड बाजा देगा । चिट्टू भैया बोले ऐसा वैसा कुछ नही होगा मैं किस्त की तारीक से दस दिन पहले तुझे पैसे दे दुगा और तू चाहे तो एडवांस में एक किस्त रख ले । तेरी बात खराब होने दुगा क्या यार छोटा भाई हैं तू मेरा । मेने बोला ठीक हैं भईया मै संजय से बात करता हु , मेने अगले दिन संजय से बात की तो उसने बोला  आप मुझसे तो पैसे कभी भी ले लो लेकिन एक चेक  स्टाम्प ओर आपकी आईडी लगेगी । मेने उसी दिन शाम की मीटिंग उनसे फिक्स कर ली और मेने उनको चिट्टू भैया के घर ही बुला लिया था । एक चेक , 100 रुपए का स्टाम्प  और आईडी की फोटोकापी में अपने साथ लेकर गया था और स्टाम्प के पैसे मेने चिट्टू भैया से उनके घर जाते ही ले लिए थे। संजय वहा आया  कुछ देर इधर उधर की बात करने के बाद मेने उसको चेक स्टाम्प और मेरी आईडी की फोटोकॉपी दे दी । उन्होंने मुझसे आईडी और स्टाम्प पर साइन करवा लिया । मेरा चेक  पर अकाउंट नंबर पड़ते हुए बोले इसी बैंक खाते में डाल दू पैसे मेने बोला जी भईया इसी में डाल दीजिए । उन्होंने मेरे अकाउंट में पैसे सैंड कर दिए मेने मेरा अकाउंट चेक किया तो पैसे मेरे अकाउंट में आ चुके थे । पैसे सैंड करने के बाद बोले अब में निकलता हु आप किस्त टाइम टू टाइम देना । मुझे अर्जेंट किसी कस्टमर के पास जाना हैं ये बोलकर वो निकल गए । जब संजय भईया ने मुझे पैसे दिए उस दिन तारीक थी 26/02/2021 । मेने उसके तुरंत बाद वो पैसे चिट्टू भैया के खाते में डाल दिए । पैसे सैंड हुए या नहीं ये देखने से पहले तो चिट्टू भैया बोले बस भाई पचास हजार और करवा दे । मेने बोला रुको यार चीटू भईया तयावस खा लो थोड़ी सी । चीटू भैया के पास दो लड़कियां  मार्बल पेंटिंग का काम सीखने आती थी । मेने उनका नाम इल्ली गिल्ली निकाल रखा था , वैसे उनका नाम फरहा और जया हैं । जब संजय ने पैसे दिए और मेने  चिट्टू भैया को पैसे उनके अकाउंट में डाले तब जया वही पर मौजूद थी । जया के घर वाले बहुत पैसे वाले हैं वो जाति से ब्राह्मण हैं । जया और फरहा ने चिट्टू भईया का लड़का जो की दिव्यांग हैं , उसको अपना धर्म का भाई बना रखा हैं । चिट्टू भैया ने अब उसके कंधे पर रखकर बंदूक चलाई । वो बोले भाई तू यही सोच रहा होगा की भईया पैसे नही दिए तो क्या होगा । भाई तू फिकर मत कर लाख डेढ़ लाख तो जया की मम्मी को आधी रात को बोल दू  ना तो वो बिना किसी सवाल के पैसे बिजवा देगी । तू तेरे भाई को ऐसे ही समझ रखा हैं क्या । जया भी उनके साथ साथ गर्दन हिला रही थी । अब मन में तोड़ा सुकून ये मिला की चलो पैसे का जुगाड तो हैं बंदे के पास । मेने बोला करता हु बात किसी से और ये बोलकर में वहा से निकल गया । अगले दिन में ऑफिस गया तो मेने मेरी मोसी से  पैसे के बारे मैं बात की तो मोसी ने  तो मना कर दिया । अब में ऑफिस में जिन भईया से पैसे ले रखा था उनसे बोलने की तो हिम्मत थी ही नहीं । ऑफिस में एक और भईया थे  वो खुद ब्याज पर पैसे नही देते थे लेकिन ब्याज पर पैसे देने वाले उनकी जानकारी मैं बहुत थे । अब समस्या ये भी थी की वो मुझको पैसे दिलवाएंगे या नहीं । टी टाइम  बाद में उनके केबिन में गया मेने बोला भैया एक बात बोलूं आपको बुरा नही लगे तो । उन्होंने बोला क्यू मुझे गली देने वाला हैं क्या , मेने हस्ते हुए बोला नही भईया में आपको गली क्यू दुगा । तो वो बोले तो फिर में क्यू बुरा मानने लगा । मेने बोला भैया बात ये हैं की मुझे पचास हजार की जरूरत थी अगर आप किसी से दिलवा सकते हैं तो सिर्फ एक महीने के लिए । उन्होंने बोला तुझे चाहिए मेने बोला नही हमारे पास एक भईया रहते हैं उनको चाहिए , एक महीने के बाद आपको ब्याज और रकम दोनो मिल जाएगी । उन्होंने बताया  एक महीने के लिए तो मिल जाएगा लेकिन दो रुपए सैकड़ा ब्याज लगेगा और एक चेक । मेने बोला वो सब  मुझे पता हैं भईया लेकिन में चेक उन भईया का दे दू तो चलेगा । उन्होंने बोला चेक किसी का भी दे मैं तो तुझे जानता हु। ओर एक महीने का मतलब हैं एक ही महीना । मेने बोला जी भईया एक महीने में वापस कर देगे । अब उन्होंने मेरे सामने ही उन भईया को फोन लगाया जो की पैसे देने वाले थे उन्होंने हामी तो भर दी लेकिन उन्होंने बोला पैसें कल दे सकता हु । इस वक्त मेरे हाथ में पैसे नही हैं । उन्होंने फोन चालू में मुझसे पूछा बोल भाई क्या बोलूं । मेने बोला भैया दस मिनट दो आप मुझे मैं भईया से एक बार और पूछ लूं । मेने चिट्टू भैया को फोन पर सारी बात बता दी ! अब भूखा शेर तो बोटी की तलाश में था उसको बोटी मिल गई और क्या चाहिए । उन्होंने बोला कोई नही पैसे  कल तक भी मिल जाए तो चलेगा । मेने बोला आपका एक चेक लगेगा वो तो दे जाना  । वो बोले भाई मेरे पास गाड़ी कहा हैं । तू आकर लेजा मैं तुझे पेट्रोल के पैसे दे दुगा । अब मैं उनका चेक लेने नही जाता तो मुझे अपना चेक देना पड़ता तो मैं उनका चेक लेने उनके घर गया। वो चिंतामुक्त दारू पीने में व्यस्त थे। मेने जाते ही बोला भईया आज खुशी में पी रहे हो या गम मैं , तो वो हंसने लग गए । मुझे देखकर वो बोले आ बेटी बैठ । चिट्टू भईया बोले भाई तुने मेरी व्यवस्ता कर ही दी जिंदगी भर तेरा आभारी रहूंगा । मेने बोला भैया आप तो बस जल्दी से जल्दी पैसे वापस कर देना । उन्होंने खुद का ब्लैंक चेक सिग्नेचर कर के मुझे दे दिया ।  मेने बोला ठीक हैं भईया में अब निकलता हु । तो उस दिन उन्होंने मुझे नही बोला बैठ यार क्या करेगा इतना जल्दी जाकर । बस एक शब्द बोले ठीक हैं । साला पेट्रोल के पैसे तक भी नही दिए । अगले दिन चेक मेने ऑफिस वाले भईया को देने लगा तो वो बोले भाई पैसे तो दे दू उसके बाद देना चेक । मेने बोला रख लो भईया आप तो चेक आपके पास रहे या मेरे पास बात तो एक ही है । 12 बजे बाद चिट्टू भईया का फोन मेरे पास आया  उस दिन 28 तारीक थी।  उन्होंने मुझे बोला भाई आज मिल जाएंगे ना पैसे मेने बोला हा उम्मीद तो हैं मिल जाएंगे और बाकी मैं थोड़ी देर बाद आपको भईया से बात करके बताता हु। मेने भईया से पूछना चाहा उससे पहले उन्होंने मुझे बोला भाई पैसे ले लेना । मेने सीधे पैसे चीटू भईया के अकाउंट में डलवा दिए । चिट्टू भईया के अकाउंट में पैसे डलने के बाद मेने उनको फोन करके बोला भईया चेक करो आ गए क्या पैसे अकाउंट में । उन्होंने बोला रुक मैं देखकर बताता हु। उनका दो मिनट बाद मेरे पास कॉल आया की हा आ गए । मेने ऑफिस वाले भईया से भी बोल दिया आ गए पैसे अकाउंट में ।अब चीटू भईया को पचास हजार 26/02/2021 को दिलवाए और पचास हजार 28/02/2021 को दिलवाए । चिट्टू भईया की  कितनी अच्छी किस्मत थी । लेकिन वो कहावत हैं ना अपनी चिलम भरने को मेरा झोपड़ा जलाते हो ।  अब मेरी लाइफ में ये कहावत बिलकुल फिट भेटने वाली थी । अब करोना की जैसे मेरी जिंदगी में भी पहली  ओर दूसरी लहर आई थी। जिस तरह पहली लहर में लोगो को बहुत दुख मिला और दूसरी लहर में लोगो का सब कुछ बर्बाद हो गया था । उसी तरह मेरी जिंदगी की पहली लहर राकेश कुत्ता ओ सॉरी गुप्ता जिसने हमको दुखो का भंडार दिया और दूसरी लहर चिट्टू भईया जिसकी वजह से मेरी जिंदगी अयस्त व्यस्थ होकर बर्बाद हो गई थी । आगे बढते हैं । तारीक 3/3/2021 , वार बुधवार , समय 10 बजकर 18 मिनट उस वक्त मैं ऑफिस में था । तो मेरे पुराने वाले घर के पास वाले मित्र राहुल  का मेरे पास  फोन आया । हेलो भाई कहा हैं मेने बोला भाई ऑफिस हु। मेरा दोस्त बोला भाई वो तेरे पड़ोस में चिट्टू भईया हैं ना यार वो दो घंटे से खुद के कमरे का दरवाजा नही खोल  रहा था । उसके कमरे के बाहर भीड़ जमा हो रही थी । दो घंटे से गेट बजाए जा रहे थे । फिर अंत पंत गेट तोड़ा भाई अब  उसको हॉस्पिटल लेकर गए हैं । मेने बोला कितने देर पहले  वो बोला आधे घण्टे से तो ज्यादा हो गया । मेने बोला भाभीजी नही हैं क्या तो उसने बोला भाई वो तो शायद मायके गई हुई हैं और बाकी मुजे नही पता । मेने बोला रुक मैं भाभीजी को कॉल करता हु पूछता हु क्या बात हुई । उनको कॉल करने से पहले मेरे ताऊजी के लड़के का फोन  आ गया । तो ताऊजी ले लड़के ने बोला पता चला क्या कुछ,  मेने बोला क्या , तो उसने बोला भाई चिट्टू खत्म हो गया । ये सुनते ही हाथ कांपने लग गए , दिल की धड़कन जोर जोर से धड़कने लग गई, सुनाई देना बंद हो गया ! मेरी आंखों में इससे पहले आसू कब आए थे ये मुझे याद नहीं था लेकिन ये खबर सुन के मेरी आंखों में आसू थे । ओर सच बताऊं तो चीटू भईया खत्म हो गया  इस बात से मुझे  घंटा फर्क नही पड़ रहा था । मुझे चिंता थी की अब पैसे का क्या होगा। मेरी कंप्यूटर टेबल के वहा माता वैष्णो देवी जी की तस्वीर हैं मैं उनको देखकर जय माता दी , जय माता दी बोले जा रहा था । कुछ भी समझ नही आ रहा था मैं अधमरा जिंदा लाश की जैसे हो गया था । ऐसा लग रहा था मानो  कुछ देर बाद मैं भी  हार्टअटैक से मरने वाला हु। मैं माताजी की तस्वीर की तरफ देखकर यही बोले जा रहा था । ऐसी क्या गलती कर दी मेने मां जो मेरे साथ ये किया आपने । मेने तो जो दुखी था उसका साथ ही तो दिया था । मेने तो उसको परेशानी से निकाला और अपने मुझे ही परेशानी में फसा दिया । मैं ऑफिस में  बैठा बैठा बस माताजी की फोटो को देखे जा रहा था । 11 बजे मेरे ताऊजी के लड़के का फोन आया उसने बोला उसकी बॉडी का पोर्समार्टम तो नही होगा लेकिन करोना की जांच के बाद ही बॉडी देगे । तू हाफडे लेकर आजा दाग में तो चलना पड़ेगा । मेने कुछ भी जवाब नहीं दिया और फोन काट दिया । मैं ऑफिस से गेटपास लेकर रवाना हुआ । जैसे ही घर के पास वाली गली में पहुंचा मेरा जी गबराने लग गया । तो मैं वही रुक गया मेरा ताऊजी का लड़का मेरे पापाजी और भी बहुत से जानकार वही खड़े थे । तो मैं भी उनके साथ जाकर खड़ा हो गया । जब मैं वहा  पहुंचा तब तक चीटू भईया की डेडबॉडी नही आई थी । मेरा दिमाग काम नही कर रहा था ! तो जी हल्का करने के लिए मेने  पैसों वाली बात साइड में ले जाकर मेरे ताऊजी के लड़के को बता दी । उसने बोला तू टेंशन मत ले कुछ दिन बाद  भाभीजी से बात करना । उसको तो पता ही होगा की तुने चीटू को पैसे दिलवाए थे । मेने बोला हा पता हैं । तो उसने बोला देखते हैं क्या होता हैं तू टेंशन मत ले सब ठीक हो जाएगा । उसने मुझे हिम्मत दी । मेने सोचा  उसने चोंच दि है तो चुग्गा भी वही देगा । ये जो परेशानी दी हैं उस परेशानी से बाहर भी भगवान जी ही निकलाएगे । अब हम लोग चीटू भईया की बॉडी आने का इंतजार रहे थे ।   वहा खड़े लोग अजीब अजीब बाते कर रहे थे ।
कोई बोलता हैं दम गुटबा से मर गो ।
कोई बोलता हैं जहर खा लियो ।
कोई बोलता हैं वे जो दो लड़कियां आबे छी मने तो लगे छे वाकी वजा से काई हुयो छे ।
सो तरह के मुंह ओर सो तरह की बाते । उनके कमरे के सामने रहने वाले रमेश चाचाजी से पूरी सच्चाई पता चली । उन्होंने बताया सुबह 8 बजे से वो लड़की जो काम करने आती हैं वो गेट बजा रही थी । तो मेने देखा ये आवाज  कहा से आ रही है। तो ये देखने के लिए मैं बाहर आया । तो वो लड़की चाचा चाचा बोलकर गेट बजा रही थी।  मेने पूछा बेटा क्या हुआ तो वो बोली अंकल इतनी देर हो गई , चाचा दरवाजा ही नहीं खोल रहे । मेने उस लड़की को बोला बेटा जरूर कुछ गडबड हैं जल्दी से अतुल को बुला के लेकर आ । वो ऊपर जाकर अतुल को बोलकर आई तो भाईसाहब आने में बहुत टाइम लगा दिया । चीटू की मां ने ये सब होता देखकर भी गेट नही तोड़ने दिया । अतुल गेट के ऊपर जो जाली थी उसमे से पिचकारी का पानी  उसको उठाने के लिए डाले जा रहा था । हम लोगो ने बोला गेट तोड़ दो लेकिन केसे लोग हैं यार बेटे से ज्यादा इन लोगो को गेट की चिंता हैं।
भाई हमसे तो नही देखा गया फिर हम सारे चिल्लाने लग गए इन लोगो पर तब जाकर इन लोगो ने गेट तोड़ा । हम अंदर गए तो चीटू की बॉडी पूरी नीली पड़ी थी , जैसे कोई जहर खा लेता हैं बिलकुल वैसे , पास में दारू का गिलास , दो चार अंडे , नमकीन , ओर सिगरेट रखी हुई थी । चिटू की विग पास में गिरी हुई थी । आपको बता दूं उनके सर पर बाल नही थे तो वो विग पहनते थे । दिन के तीन बजे उनकी बॉडी आई जैसे ही उनको एंबुलेंस से बहार  निकाला वहा का माहोल बहुत ही डरावना था । उनकी वाइफ की हालत रो रो कर बुरी हो गई थी। लेकिन एक बात थी चीटू की बहन जो उसके रखी तक नहीं बंधती थी । जिस भाई को पैसे के अलावा कुछ मतलब नहीं था। जिन मां बाप  ने अपने बच्चे को कभी ये भी नही पूछा की बेटा क्या दुख है तुझे । वो ऐसे कर रहे थे की बस पूछो मत इतनी अच्छी एक्टिंग मेने कभी नही देखी । मेरे हिसाब से तो उन सब को ऑस्कर अवॉर्ड मिलना चाहिए था । अब समय आया चीटू भईया को आखरी विदाई देने का , हम जब उनकी परिक्रमा कर रहे थे । जब उनका बिना बालो वाला चहरा मेने देखा जो पूरा नीला पड़ा था । कभी हमने उनको बिना बालो के देखा भी नहीं था । वो चहरा इतना डरावना लग रहा था अगर कोई कमजोर दिल वाला देख ले तो हार्ट अटैक से मर जाए । उनका चहरा बिलकुल अलिफलैला सीरियल में जो जिन था बिलकुल उनके जैसा लग रहा था ।  उनकी अर्थी को लेकर हम शमशान पहुंचे । जब उनको मुखाग्नि देने वाले थे । मैं भगवान जी से भिक माग रहा था की एक बार चमत्कार कर दो प्रभु  इस बंदे में वापस जान डाल दो । लेकिन ऐसा कहा होने वाला था । उनका दाहसंस्कार कर  के हम  घर वापस आ गए । पूरे रास्ते मुझे उनका चहरा मेरी आंखों के सामने नजर आता रहा । मैं और पापाजी घर आकर नहाने के बाद मंदिर जा आए ।  रात को सब भोजन करने बैठे । लेकिन मुझसे तो एक निवाला भी नही खाया जा रहा था ।केसे जैसे मैं आधी रोटी खा कर उठने लगा मां ने बोला क्या हुआ रोटी तो खा तो मेने उनको बोला दिन में पेट भर के नाश्ता कर लिया था मां अभी बिलकुल भी भूल नहीं लग रही । अब वक्त आया सोने का , तो नींद कहा से आए मुझे तो अजीब अजीब  डरावने सपने नजर नजर आ रहे थे । उस रात चाहते हुए भी मुझे एक पल नींद नहीं आई । ओर ना ही सुबह हो रही थी । कुछ देर बाद घड़ी में टाइम देखा तो साढ़े चार बजे थे । मैं उठा तो मां ने पूछा आज इतनी जल्दी कैसे उठ गया बेटा तबियत तो ठीक हैं ना तो मेने बोला नही मां सब ठीक हैं , में  थोड़ा मॉर्निंग वॉक पर जा आता हु मां ने बोला अच्छी बात हैं ये तो बेटा रोज जाया कर । लेकिन बेटा इतनी जल्दी जाकर क्या करेगा । पांच बज जाने दे उसके बाद जाना । पाच बजने के बाद में घर से बाहर  निकला अब मुझे कोनसी मॉर्निंग वॉक करनी थी । कुछ दूरी पर एक मंदिर था मैं वहा जाके बैठ गया । मंदिर की सीढ़ियों पर बैठे बैठे मुझे सात से भी ज्यादा बज चुके थे । याद आया ऑफिस भी जाना हैं । टेंशनो का भंडार सर पर लेकर में ऑफिस गया । ऑफिस जाकर टी टाइम में मेने उन भईया जिन्होंने पैसे दिलवाए थे।  उनको बोला भैया अभी जिन भईया के लिए मेने आपसे पैसे  लिए थे कल वो खत्म हो गए । वो बहुत गंभीर भाव में बोले केसे । तो मेने बोला ये तो अभी तक पता नहीं चला । वो पूछे अब पैसे कोन देगा । मेने बोला भईया भगवान जी कुछ तो उपाय निकालेगे । उन्होंने बोला भाई एक महीने बाद किसी भी हालत में पैसे देने हैं , मेने तुझे पहले ही बोला था मैं सिर्फ तुझे जानता हु। मेने उनको जूठा आश्वासन दिया की भईया में दुगा आपके पैसे । जेब में फुटी कोड़ी नही थी और मैं बात कर रहा था ताजमहल खरीदने की । ना तो ठीक तरह से ऑफिस में काम होता ओर ना मैं लंच में खाना खा पता था । घर पर  ठीक तरह से शाम का खाना भी नहीं खा पता था । ओर  जो खाना मां लंच टाइम में खाने की लिए भेजती थी वो में ऑफिस से घर आते समय गाय माता या राकेश को मतलब कुत्तों को खिला देता था । खाने से भरा टिफिन घर लेकर जाता तो मां सो सवाल करती तो मैं उनको क्या जवाब देता । कुछ दिनो बाद चिट्टू  भईया की वाइफ का फोन आया मेरे हेलो बोलने से पहले ही वो फूट फूट कर रोने लग गई । मेने उनको बोला भाभीजी अब रोने से क्या होगा । आप अपनी ओर अपने बच्चे के बारे में तो सोचो । ऐसे हिम्मत हारने से क्या होगा भगवान जी को जो मंजूर होता हैं वही होगा । अब आप आगे की लाइफ के बारे में सोचो । भाभीजी ने मेरी बात में हामी भरते हुए रोना बंद कर दिया और मुझे पूछा भईया वो एक लाख रुपए केसे चुकाओगे अब आप । ये बात सुनते ही मुझे दिन में तारे नज़र आने लग गए । मेने बोला जो भगवान जी करेगे सब अच्छा ही करेगे । आप खाली अपना और बच्चे का ध्यान रखो । अब ना चाहते हुए भी मैं भाभीजी ओर इल्ली गिल्ली की मम्मी से पैसे नही माग सकता था । हा अगर चीटू भईया जिंदा होते ओर फिर पैसे नही देते  तब तो उन लोगो से पैसे मांगना वाजिब था । लेकिन जो बंदा इस दुनिया में हैं ही नहीं तो क्या ही हो सकता था । ओर मैं उनसे किस मुंह से पैसे के लिए बोलता की वो मर गया तो मुझे कोई मतलब नहीं हैं आप तो मुझे अभी की अभी पैसे दो । भाभीजी की तो खुद के हालात बहुत बुरे ही चुके थे । भाभीजी ने फोन पर बोला भईया आप उनको बारह दिन पूरे हो जाने दो मेरा विश्वास हैं वो कोई एफ.डी , इंसोरेंस कुछ तो छोड़ कर गए होगे । कही से कुछ ना कुछ तो मिलेगा । तो सबसे पहले मैं आपको आपके पैसे दुगी । आप जिन जिन से पैसे लिए हैं उनको पैसे लौटा देना। उनकी ये बात सुन कर दिल को बहुत राहत मिली । सच मायने में मेने उस दिन भर पेट खाना खाया । अब में चीटू भईया के बारह दिन पूरे होने का इंतजार कर रहा था । बारह दिन केसे जैसे निकल गए ।  बारह दिन पूरे होने के बाद जो अगला दिन था वो रविवार था । मेने हिम्मत करके भाभीजी को फोन किया । उन्होंने बोला भईया में आपसे शाम को बात करती हूं । मेने ठीक हैं बोल कर फोन कट कर दिया। शाम को भाभीजी का कॉल आया मेने पूछा कुछ जमापूंजी मिली क्या उनकी कोई एफडी आरडी या कुछ भी । तो भाभीजी ने बोला ही था की मुझे विश्वास हैं कुछ ना कुछ तो जरूर छोड़ कर गए होगे । ओर वो सच में बहुत कुछ छोड़कर गया था । बहुत कुछ में सबसे ज्यादा था कर्जा । भाभीजी ने  बताया एक लाख रुपए में से खाते में सिर्फ छ: हजार रूपए हैं । मेने पूछा अतुल को दे दिए होगे तो उन्होंने बताया की अतुल को एक पैसा भी नहीं दिया । उन्होंने  पता नहीं किस किस को पैसे सैंड कर रखे हैं । पचास हजार एक जन को सैंड कर रखे हैं । तेहरा हजार ओर पाच हजार की कोई पर्सनल लोन की किस्त दी हुई हैं । ओर दस हजार से ज्यादा रुपए इन्होंने सिद्धार्थ होटल में दारू पी होगी उसके सैंड हैं । खाते में भईया अब सिर्फ छ: हजार रूपए ही हैं । उस बन्दे ने मात्र चार दिन में एक लाख रूपए को पानी पिला दिया था । मेने पूछा भाभीजी ओर कुछ पता चला क्या , तो उन्होंने बताया आपके भईया मेरे माथे बहुत सारे पैसे का कर्जा छोड़ गए कभी बैंक वाले आते हैं तो कोई अपनी किस्त लेने तो कोई अपने सत्तर हजार लेने । एफडी आरडी के नाम पर एक रुपए का डेला नही हैं । ये सुनने के बाद मेरे मुंह से उसके लिए गालियां निकल रही थी । अब लग रहा था मेरी पूरी सेलरी तो ब्याज देने में चल जाती हैं । सात हजार महीने की किस्त और और इक्यावन हजार रुपए दस दिन में कहा से लाऊंगा । किसको मेरे दिल की बात बताता किससे पैसे मांगता । मेरे मां पापाजी को बताने की हिम्मत मुझ में कतई नहीं थी । वो ना मैं कभी चहता था की मेरी गलती की वजह से उनकी आंख में आसू भी आए । ज्यादा डर इस बात का था लोगो को पता चल गया तो । क्यू की मुझे पता था लोगो को अगर पता चल जाता हैं की कोई दुखी हैं तो वो उसको और दुख देने लग जाते हैं , ये दुनिया की रीत हैं। उसी शाम को मेने संजय चौहान को फोन किया । मेने उनको बोला भैया पता हैं क्या आपको परवेंद्र भैया के बारे में , तो उन्होने बोला हा भईया पता चला । सुनकर बहुत दुख हुआ । मेने उनको बताए भईया आपको एक बात बतानी हैं । वो बोले बताओ क्या बात बतानी हैं । मेने बोला वो जो पैसे अपने दिए थे ना वो मेने परवेंद्र भईया के लिए ही लिए थे । भईया मै अब कहा से लाऊ इतने पैसे । भईया आपके हाथ जोड़ता हु । मैं अभी नही दे पाऊंगा आपके पैसे । वो ऊंचे स्वर में बोले अच्छा ।  मेने बोला जी भईया वो आपसे पैसे नही लेना चाहते थे । तो उन्होंने मुझे बोला पैसे लेने के लिए । उन्होंने चिल्लाते हुए बोला वो क्या नही लेगा पैसे मुझसे उसकी हिम्मत नही थी पैसे मांगने की । उससे सत्तर हजार रूपए मागता था में । मेरे पैसे और डूब गए । अब वो पैसे कोन देगा तू देगा क्या बोल । ये बात सुनकर तो मेरी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई थी । संजय भईया बोले ओर रही बात तुने पैसे उसको दिए हो या किसी और को मुझे  तुझसे मतलब हैं । मेरे पास तेरा चेक, स्टाम्प,आईडी,सब कुछ हैं । समझ में आई बात और मुझे टाइम टू टाइम किस्त चाहिए । कोई किंतु परंतु वाली बात नही होनी चाहिए । इस काम में  मुझे बहुत टाइम हो गया । पैसे निकवाने भी अच्छी तरह से आते हैं , और तू देखना चाहता हैं तो वो भी दिखा दू। मेने बोला नही भईया आपके हाथ जोड़ता हु मुझ पर तो पहले से कर्जा हैं । मैं अब हर महीने सात हजार कहा से लाऊंगा । प्लीज भईया कुछ तो रहम करो । वो फिर गुस्से में बोले चब्बीस तारीक को या तो पचास हजार प्लस ब्याज  दे देना नही तो हर महीने किस्त । ये बोलकर उन्होंने फोन कट कर दिया ।  कब्र का हाल सिर्फ मुर्दा ही जानता हैं , तो मेरी हालत सिर्फ और सिर्फ मैं ही जानता था। उस समय मुझे ब्याज शब्द से भी नफरत हो गई थी भगवान जी से बोल रहा था साले ये जितने भी ब्याज टक्के वाले हैं उनको अभी की अभी अपने पास बुला लो । रात  के आठ बज चुके थे मुझे जितनी भी भूख थी मैं खा कर लेट गया । अब मेरी लाइफ में जो तारक महता हैं जिनका मेने पहले जिक्र किया था लेकिन बताया नही था उनका परिचय करवाता हु। मेरी गर्लफ्रेंड माही । जो मेरा सब कुछ हैं मेरी दुनिया में मेरी जिंदगी सब कुछ । कभी कभी तो सोचता हु मुझ जैसे भिखारी को इतना प्यार करने वाली लड़की केसे मिल गई । लेकिन चिट्टू भईया को पैसे दिलवाने से लेकर आज तक की कोई बात मेने उसको नही बताई थी । लेकिन मन में बहुत बड़ा भोज था । तो मेने उसको सब कुछ बता दिया । पहले तो उसने मुझे इतना डाटा की आप लोगो को क्या ही बताऊं लेकिन सच मायने में दिल को इतना सुकून मिल रहा था की क्या बोलूं । फिर बड़े प्यार से उसने कहा  सब कुछ ठीक हो जाएगा । उसने बोला में लड्डू गोपाल जी से बोलूगी की वो सब कुछ जल्दी से ठीक कर दे । वो मेरी जरूर सुनेगे । आप चिंता मत करो अपने तो उन जूठे भईया की हेल्प ही की थी । अपने तो अच्छा ही किया था तो भगवान जी कभी आपके साथ बुरा नही होने देगे ।  ये सब सुनकर मेरी आंख में आसू थे । मेने उसको बोला रात बहुत हो गई है । अब सो जाओ मुझे सुबह ऑफिस भी जाना हैं । अगले दिन ऑफिस गया ना किसी से बात करने का मन और ना काम करने का । केसे जैसे हिम्मत कर के ऑफिस मैं उन भईया के पास गया और उनके आगे हाथ जोड़े और सच बताऊं तो उनके पैर भी पकड़े । मेने साफ बोला भईया  नही दे पाऊंगा पैसे मेरे पास तो ब्याज तक देने के भी पैसे नही हैं । आपके आगे हाथ जोड़ता हु । में ये नही बोल रहा की मैं आपके पैसे नही दुगा । आपके पूरे पैसे दुगा और ब्याज भी । बस मुझे थोड़ा टाइम दे दो । उनको मुझ पर तरस आ गया था । वो संजय चौहान जैसे नही थे । उन्होंने बोला भाई ज्यादा से ज्यादा एक महीना और उन भाईसाहब को माना लूंगा , लेकिन फिर दो महीने का ब्याज और रकम दोनो चुकानी पड़ेगी।  मेने उनको हाथ जोड़ते हुए बोला भईया कही से भी पैसे लाऊ आपको बिना बोले पैसे मिल जाएंगे । ये बात मेने माही को बताई तो उसने बोला ये तो अच्छी बात हैं लेकिन एक महीने बाद पैसे कहा से आएंगे । मेने बोला वो सब बाद में सोचेंगे । अब एक टेंशन तो एक महीने के लिए टल गई थी । अब बची एक टेंशन संजय चौहान । दस दिन के अंदर उसके पैसे का जुगाड करना था । दो दिन निकल गए मेरी माही ने मुझे मिलने भुलाया । उसने बोला मुझे पता हैं ये मिलने का सही समय नही हैं । लेकिन प्लीज एक बार मिल लो । मेने बोला ठीक हैं मैं ऑफिस से कल की छुट्टी ले लूंगा । तो बोली नहीं छुट्टी क्यू लोगे मुझे मिल कर ऑफिस चल जाना । मेने बोला ठीक हैं । अगले दिन मैं उससे मिलने गया । हमने थोड़ी देर बात चित करने के बाद वो बोली मुझे थोड़ा आगे तक छोड़ जाओ फिर सीधे  निकल जाओ आप आफिस । मैं घर चली जाऊंगी । मेने वैसा ही किया उसको थोड़ी दूर छोड़ कर में ऑफिस जाने लगा । उसको जैसे ही छोड़ कर मैं थोड़ी दूर ही गया होगा माही का कॉल आ गया । मेने पूछा क्या हुआ तो बोली बीचमे कही मत रुकना । सीधे ऑफिस जाना और आफिस पहुंचते ही मुझे कॉल करना । मेने बोला ठीक हैं मेरी दादी मां । मैं ऑफिस पहुंचा उसको  मेने कॉल करके बोला मैं आ गया ऑफिस । उसने बोला आपके बैग की पीछे वाली चैन में कुछ हैं  देखो , ओर ये बोल कर फोन कट कर दिया । मेने देखा तो उसमे एक लिफाफा पड़ा था । अब ऑफिस के बहुत से लोग मेरे आस पास थे , तो मेने लिफाफे को मेरे केबिन में जाकर खोला । उसमे थे पूरे 29000 हजार रुपए । ये देखकर मेरा दिमाग हिल गया । वो लड़की जिसको ये नही पता की मेरी उससे शादी होगी या नहीं , वो लड़की जिसको ये नही पता की ये पैसे वापस आएंगे या नहीं । उसने मुझे इतने सारे पैसे दे दिए बिना कुछ सोचे समझे । मेरे उसको फोन किया फोन उठाते ही वो बोली आपको मेरी कसम हैं अगर कुछ भी बोले तो और इस मैटर में बात भी की तो और मुझे  पता हैं आप आगे क्या बोलोगे आप बोलोगे मम्मी को पता चल गया तो । मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं ।  मम्मी ने भी इसमें हेल्प की । ओर हस्ते हुए उसने बोला आप हर महीने इसका ब्याज दे सकते हो मैं माना नही करूंगी। ये सुनकर मुझे भी हसी आ गई । ये हैं मेरी महता साहब । मुझे ये तो पता था की ये पैसे मैं एक ना एक दिन तो जरूर उसको वापस दे दुगा लेकिन जो एहसान उसने मुझ पर किया वो मैं सो जन्म लेकर भी नही चुका सकता । अब भगवान जी से एक आखरी  प्राथना थी जो पैसे बचे थे उसका भी इंतजाम करवा दे । अगले दो घंटे के अंदर उसका भी जुगाड हो गया । वो कहा से हुआ तो मैं आप लोगो को बताता हु । मेने मेरे पर्सनल फंड यानी P.F मे से तीस हजार रूपए की एप्लीकेशन लगा दी । जो की पैसे मेरे खाते में 24 तारीक को ही आ गए । ओर पच्चीस को ही मेने संजय को पूरे पैसे यानी की इक्यावन हजार देकर मेरे चेक स्टाम्प ओर आईडी वापस लेली । मेरे माही मेरी तारक महता साहब के लड्डू गोपाल जी ने सब कुछ ठीक कर दिया था । एक दिन अब बस बैठा बैठा एक ही चीज सोच रहा था l जो भाभीजी ने मुझसे बोली थी की आपके भईया कुछ ना कुछ तो छोड़ के गए होगे । हा वो बहुत कुछ छोड़ गए थे ।  वो छोड़कर गए थे जूठे वादे , वो छोड़ कर गए थे कर्जा , वो छोड़ के गए अपनी बीवी और बच्चे को बेसहारा । दोस्तो बात बहुत सिंपल हैं एक लाख रूपए कई लोगो के लिए देखने और सुनने में बहुत ही छोटी रकम हैं । लेकिन मेरे लिए एक लाख रूपए चुकाना  बहुत बड़ी बात हो गई थी । मुझे डर इस बात का नही था की पैसे नही दुगा तो संजय मुझे बीच रास्ते में मरेगा या ज्यादा से ज्यादा जान से मार देगा । नही बिलकुल नहीं मुझे इस बात का  डर बिलकुल नहीं था । मुझे डर इस बात का था वो मेरे घर ना आए जाए , डर इस बात का था जो मेरे पापाजी मां ने  जो इज्जत कमाई हैं एक पल में मेरे वजह से सब कुछ खत्म , डर इस बात का था मेरे मां पापाजी के आंख में आसू मै केसे देख पाऊंगा । दोस्तो सोचो अगर में एक लाख रूपए की जगह ज्यादा पैसे दिलवा देता तो फिर मेरा क्या होगा । मेरा छोड़ो मेरी फैमिली का क्या होता । एक लाख ही थे इसलिए बच गए और अगर यही रकम ज्यादा होती तो मेरी गलती की सजा मेरे साथ साथ भुगतती मेरी पूरी फैमिली । जिस तरह एक बच्चे की गलती की सजा उनके पैरेंट्स को मिलती हैं ये भी बिलकुल वैसा ही था । दोस्तो सोचो क्या होता अगर माही मुझे 29000 हजार रूपए नही देती तो , क्या होता अगर ऑफिस वाले भईया भी संजय की तरह बोल देते पैसे चाहिए मतलब चाहिए , क्या होता अगर मेरे पास नोकरी नही होती ओर ना P.F खाते में पैसे होते । तो मैं पैसे न चुकाने के डर से  मां बाप की बदनामी ना हो जाए  ये सोचकर खुद को कुछ कर भी लेता । क्यू की उन दोनो ब्याज वाले बंदों की बात की जाए तो वो  चिट्टू भईया को जानते तक नहीं थे वो जानते थे सिर्फ मुझे । इस कहानी में दोस्तो में ये नही बोल रहा की आप किसी को पैसे दिलवाओ । दिलवाओ बिलकुल दिलवाओ । लेकिन बड़े बुजुर्गों ने एक बहुत अच्छी बात बोली हैं । पैर उतने ही पसारे जितनी आपकी गुदड़ी हैं । इसका मतलब आप पैसे दिलवाओ लेकिन दिलवाने से पहले ये इंतजाम रखो की ये नही देगा तो मैं यहां से दे दुगा । ओर अगर आपके पास नही हैं तो हमबड़ी दिखाने की कोई जरूरत नहीं हैं साफ मना कर दो चाहे वो रिश्तेदार हो या दोस्त । दूसरे को तकलीफ से निकाल कर खुद तकलीफ में पड़ना चाहते हो तो बिलकुल दिलवाओ । जिसको अपने पैसे दिलवाए वो बंदा फोन बंद करके बैठा हैं और उसके पैसे चुकाने का भोज आपके सर आ गया और उसकी वजह से आप और आपकी फैमिली हर पल परेशान होते हो ओर उस परेशानी के बीच आप अपने मां बाप के आंखों में आसू देख सकते हो तो बिलकुल दिलवाओ ।  ब्याज पर तो दुनिया भारी पड़ी हैं बैंक तो डंके की चोट पर पैसे देता हैं और अच्छा खासा ब्याज भी लेता हैं । तो फिर हम कोनसे खेत की मूली हैं । पैसे देने हैं या दिलवाने हैं तो उनको दिलवाओ जो  अपने बहुत खास को । जिससे अगर पैसे वापस ना भी आए तो चुकाने में तकलीफ नहीं होगी । दुनिया में न जाने कितने ही लोग हैं जिनकी जिंदगी बर्बाद हुई सिर्फ दूसरो को पैसे दिलवा कर । ओर उनकी वजह से बर्बाद होता हैं पूरा परिवार ।।।।।
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