MAHESH 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत प्यार- मोहब्बत 89667 0 Hindi :: हिंदी
स्वरचित रचना--- क्यूं जले पर छिड़कते...! संदर्भ- प्यार-मनुहार क्यूं जले पर छिड़कते नमक हो प्रिये। एक तो मारा हूं वैसे ही प्यार का, दूजा तड़पाते हो क्यूं विरह में प्रिये। एक उम्मीद की बन किरन तुम मिले, क्यूं फिर इक बार देते दुसह दुख प्रिये। मरे को मारना भी कोई मारना, मारना होता तो जंग करते प्रिये। आपसे पहले ही तो मैं हारा प्रिये, हारे को क्या हरा के मिलेगा प्रिये। नैन से नीर ऐसे टपकता प्रिये, स्वाति को जैसे चातक तरसता प्रिये। हूक सी उठती हैं तेरी यादें प्रिये, मन विरह की व्यथा में तड़पता प्रिये। दर्द सीने में ऐसा उठा है प्रिये, जिस्म से जान जैसे जुदा हो प्रिये। आखिरी आंहों की, आखिरी सांसों की, बन गई इस समय तुम खुदा हो प्रिये। हाले दिल रख दिया है तेरे सामने, आना या अब न आना तेरा काम है। आस में तेरी हैं मुझमें सांसें अभी, नजर आना न आना तेरा काम है। दिल की अरदास में, आपकी आस में, राहें तकती हैं आंखें श्रद्धा-विश्वास में। ~✍️महेश