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रोने से क्या फायदा-गलती स्वयं सुधार

संदीप कुमार सिंह 17 Oct 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 3980 0 Hindi :: हिंदी

#विधा:_दोहा छंद
#"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" 
रोने से क्या फायदा,आगे का यूं सोच।
रहो दूर तकलीफ से, जीवन में हो लोच।।

रोने से क्या फायदा,गलती स्वयं सुधार।
नया  इरादा से बढ़ो,पाओ सब अधिकार।।

रोने से क्या फायदा,सच्ची हो मुस्कान।
मदद तभी तो है मिले,सुन्दर हो पहचान।।

रोने से क्या फायदा,जीवन तो है जंग।
टूटे कभी न हौसला,फुर्ती मय हो अंग।।

रोने से क्या फायदा,और करे नुकसान।
इसलिए आगे को बढ़ें,अदभुत हो पहचान।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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