Vishakha Sharma 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक #Vishlekh2314# 22926 1 5 Hindi :: हिंदी
हम सभी एक ऐसे समाज में रह रहे हैं। जहाँ लडकियों के लिए हर कदम पर खतरा है। हमें हर कदम को सोच समझ कर उठाना होता है। हम कैसे बात करते है क्या कपड़े पहनते है कैसे चलते हैं हर चीज पर ध्यान दिया जाता है। लडकी होना मतलब हर रोज़ टूटकर संभलना हर रोज खुद को मजबूत करना। मैं यहाँ एक किस्सा आप लोगों के साथ बांटना चाहतीं हूँ। मैं जब 9 कक्षा में थीं तो मेरे साथ एक लड्की पडती थी नाम तो मुझे याद नहीं हैं उसका पर छोडिए नाम में क्या रखा है नाम कोई भी हो उससे फर्क नहीं पड़ता क्योकि ये घटना हर लडकी से जुडी हुई है ऐसा हर एक के साथ होता है। उस लडकी ने मुझे और मेरी सहेली को बताया कि जब वो स्कूल से घर जाती हैं तो एक लडका उसे परेशान करता है वो उसे अनदेखा करती हैं फिर भी वो लडका उसे परेशान करता है।उसे समझ नहीं आ रहा कि वो क्या करे, घर पर बताने से डर लगता है कि कहीं उस पर ही सवाल ना उठ जाएँ। वो सहमी हुई थी वो हमसे सलाह माँग रही थी पर मै उसे इस बारे में कुछ ना कह पाई क्योंकि मै उस समय बहुत ना समझ सी और बहुत शांत, चुप-चुप सी रहने वाली थी इसलिए मै उसकी मदद ना कर सकी। लेकिन वही एक दूसरी लडकी ने सुझाव दिया कि घर पर मम्मी को इस बारे में सब बताएं। उस लडकी ने जैसे तैसे हिम्मत करके मम्मी को सारी बात बताई और पता है क्या हुआ उसकी मम्मी ने बोला कि ये बात अपने पापा को मत बताना। ओर रही बात उस लडके की तो तू अपना आने-जाने का रास्ता बदल दे और अपने मुंह को दुपट्टे से ढक कर जाया कर और रास्ते में दात दिखाती हुई मत आया कर। अगर ये बात तेरे पापा को पता चली तो मुझे भी घर से बाहर निकाल देंगे। इसलिए इस बात को यहीं दबादे। अगले दिन वो दूसरे रास्ते से स्कूल आयी। उस दिन तो वो लडका उसे नहीं मिला। उसने हमें वो सब बताया जो उसे उसकी मम्मी ने बोला था। हमने भी उसे कह दिया कि जो तेरी मम्मी ने बोला वही कर। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई वो लडका उसे वहां भी परेशान करने लगा। ये कोई नयी बात नहीं थी ये होना ही था क्योकि किसी बात को दबा देने से वो खत्म नहीं हो जाती बल्कि बढ जाती हैं। अब वो घर पर भी नहीं बता सकती थी। वो उस लडके से डरती तो वो उसे ओर डराता। यही सिलसिला कुछ दिनों तक चलता रहा फिर एक दिनउसके सब्र का बांध टूट गया उसने डरते-डरते हिम्मत करके पापा को सब कुछ बता दिया और जानते हैं क्या हुआ उसके पापा ने उसकी बात को ध्यान से सुना और फिर उसे समझाया कि ऐसी स्थिति में हमें डरना नहीं चाहिए बल्कि मजबूत होकर उसका सामना करना चाहिए। अब उस लडकी में थोड़ी हिम्मत आयी। उसे समझ आया कि ये दुनिया डराती भी उसे ही है जो डर जाता है। अगले दिन वो एक जोश से स्कूल गयी। तब उसे वो लडका नहीं मिला लेकिन लौटते वक्त वो मिला। तब उस लडकी ने थोड़ी हिम्मत दिखाई और जब वो भीड वाली जगह पर पहुंची तो वो जोर से चिल्लाने लगी कि ये लडका मुझे रोज परेशान करता है और बस फिर वहां खडे लोगों ने उसे घेर लिया और जम कर उसकी पिटाई की। वो लडकी अब खुश थी उसने घर जाकर सब कुछ बताया। उसके पापा ने उसे शाबाशी दी और उसे गले लगाकर कहा कि मेरे बच्चे तू मेरी शेरनी है और शेरनी किसी से डरती नहीं है। तो यहा हमें येसिखने को मिलता है कि हमें अपने माता पिता से कुछ भी छिपाना नहीं चाहिए उन्हे अपना दोस्त समझना चाहिए और स्तिथि जो भी हो हमें मजबूत होकर उसका सामना करना चाहिए। धन्यवाद 🙏🙏