Baba ji dikoli 30 Mar 2023 कविताएँ धार्मिक समाजसुधार/मन की बात/अदभुत/देश हित/स्वरचित/कविता/ 7603 0 Hindi :: हिंदी
मुख पर है तीव्र तेज ज्ञान ललाट में भरा। किसी ने मायावी तो किसी ने महापुरुष है कहाँ। जिसके जन्म से धन्य हो गयी धरा । किसी की कोख से लिया था जन्म , किसी की गोद में था पला। जीवन में जिसके संघर्ष था बड़ा। सूने पैर धर्म पथ पर था पथिक जो चला। अपने ज्ञान से एक ग्वाला।,यदुकुल शिरोमणि था बना। जिसमे अपार बुद्धि और विवेक था , हाथ में सुदर्शन चक्र और मुख पर तेज था। कैसे जग को प्रेम राग सिखला गया । निर्वाषित पांडवो को महाभारत वो जीता गया। धर्म -अधर्म का ज्ञान सबको बतला दिया । मित्रता होती है ये भी सिखला दिया। निज स्वार्थ तज, अपने प्रेम को झुठला दिया । ऐसे थे हमारे कन्हैया ,ऐसे थे हमारे कन्हैया। @BaBa ji dikoli