संदीप कुमार सिंह 16 Aug 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5901 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) महिमा भोले नाथ की,दुनिया में है आज। शिव ने विष को पान कर,बने अजर सरताज।। करें जला कर भस्म अब,काम क्रोध को आप। लगा भक्ति में चित्त को,करें मंत्र शिव जाप।। ईश आप तो धन्य हैं,कण कण में है वास। जगत रचयिता आप ही,अनुपम है विन्यास।। हर युग में लेते सदा,ईश नव्य अवतार। करे नाश सब पापियों,को कायम हो प्यार।। महिमा भोले नाथ की,जीवन में उत्साह। करके श्रम हम रात दिन,रखूं खुशी मय माह।। महिमा भोले नाथ की,दुनिया में है जोश। मानव आगे नित बढ़े,प्रगति रहे आगोश।। महिमा भोले नाथ की,चमके तब दरबार। गम सारे सब भूलकर,सेवा रखे सुमार।। महिमा भोले नाथ की,किए शिवम विषपान। किए बड़ा उपकार तो,तब है मानव मान।। महिमा भोले नाथ की,करे पाप संहार। मन चाहा वरदान दे,रखे भक्त से प्यार।। सबका मालिक एक है,अलग अलग है नाम। इनमें उलझें मत कभी,पूजा जाता काम।। सबका मालिक एक है,सृष्टि सकल के यार। जितना ढूंढों अन्त मत,कण कण में करतार।। सबका मालिक एक है,जिनसे है सब लोक। मालिक में विश्वास हो,रहिए बने अशोक।। सबका मालिक एक है,जीवन यह वरदान। सही मार्ग पर हम चलें,करूं नहीं अभिमान।। सबका मालिक एक है,जो हैं अति अनमोल। उनसे डरके हम रहें,सदा रखूं मृदु बोल।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....