Ravina pareek 29 Jul 2023 कविताएँ समाजिक झूठी है यह दुनिया सारी, मतलब से बढ़कर कुछ नहीं यहां। 4744 0 Hindi :: हिंदी
झूठी है यह दुनिया सारी, यहां कोई ना समझे पीर-पराई। मतलब से बढ़कर कुछ नहीं यहां, न इंसान, न भगवान। मतलब से सब प्यार, मतलब से सब यार। मतलब से निभाए जाते हैं, सब रिश्ते यहां, मतलबियों को ही खिलाए जाते हैं, काजू- पिस्ते यहां। फरेबी यहां करते हैं राज, जो झूठ से बनाते हर काज। झूठी है यह दुनिया सारी, यहां कोई ना समझे पीर पराई। मतलब से बढ़कर कुछ नहीं यहां, न इंसान, न भगवान। Writer-Ravina pareek ✍️✍️✍️