संदीप कुमार सिंह 30 Apr 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 26346 0 Hindi :: हिंदी
गुरु शब्द बड़ा ही सूखकारी, उनके रहते न आती है, किसी भी प्रकार की समस्या भारी। हम सब रहते हैं बेफिक्र, की अपने ऊपर हैं गुरुवर। गुरुवर_गुरुवर_गुरुवर, आप हैं ज्ञान के सरोवर। आप सम्हाल लोगे, आप सम्हाल दोगे। हम संवर जायेंगें, जिन्दगी संवर जाएगी। एक_एक कर के, दुनिया सारी संवर जाएंगी। ॐ गुरुवे नम: ॐ गुरुवे नम:..... (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....