Chanchal chauhan 14 Dec 2023 कहानियाँ दुःखद जीवन की दास्तां 18972 0 Hindi :: हिंदी
कहूं क्या कहानियां, जीने के लिए बनी हैं। ना जाने कितनी पहेलियां, हैं एक उलझन जीवन सुलझ के भी ना सुलझ पाये।एक थी मासूम सी लड़की था खुशहाल उसका परिवार मां बाप भाई और बहन था उसका पूरा परिवार। बचपन बीता खुशी में,घर में थी रौनक धूमधाम।सब थे खुश रहता था मौज में घरवार . बचपन में ना थी जीवन की पहचान।थी ज़माने से अनजान।बड़े हुए तो पता चला जीवन जीना नहीं हैं आसान।मजबूर होता हैं जीवन में कैसे नहीं था एहसास। एक जीवन की ऐसी कहानी बहुत दुखद लड़की एक औरत जीवन क्या होता हैं।एक रीना नाम की लड़की जिसका जीवन उसके लिए अभिशाप बन गया। बचपन हंसी खुशी में बीता।जब बड़ी हुई पढ़ाई पूरी कर ली तो घर वालों ने उसकी सादी कर दी।वह ससुराल में रहने लगी।उसके ससुराल वाले दहेज के कारण उसे पीड़ित करते थे।ये दिया नहीं वो नहीं दिया।वह सुनती रहती थी वह गरीब परिवार से थी।वह उनको जबाब नहीं देती थी। अपने घर पर भी नहीं बताती की उसे क्या तकलीफ़ हैं।उसके ससुराल वाले उसके साथ कैसा व्यवहार करते हैं। रीना की एक नन्द थी जो उससे बहुत लड़ती थी।उसको चैन से नहीं रहने देती थी।बीमार होने पर भी रीना घर का सारा काम करती थी।उसकी ननद उसके बीमार होने पर भी जरा भी काम नहीं करती थी।उसकी सांस भी ऐसी ही थी ना तो कुछ करती थी ।ना ही अपनी लड़की को बोलती थी।रीना का पूरा दिन काम में निकल जाता था। रीना पढ़ी लिखी थी। फिर उसके ससुराल वालों ने उसका पागल बना रखा था।सादी के एक साल बाद उसका बच्चा हुआ ।आॅपरएशन से डिलवरी हुई।वह घर आ गई सांस नन्द ने उसका बिल्कुल भी नहीं किया।उसकी केयर नहीं की।रीना की तबीयत बहुत खराब हो गई।एक साल से जो घर का सारा काम कर रही थी।उसकी सांस और नन्द से 10 दिन भी करके नहीं खुलाया गया। रीना ने उस हालत में भी अपना काम किया इसी कारण उसकी हालत बिगड़ी।एक महीने के बाद वह भगवान को प्यारी हो गई।कसूर किसका था उसकी किस्मत का,उसकी ससुराल वालों का।एक बच्चे की मां भी उससे दूर हो गई।रीना का जीवन वहीं खत्म हो गया।सादी उसके लिए मौत बन गई। कोई भी सांस नन्द किसी लड़की के साथ ऐसा ना करें।वो तो जीवन भर करके ही खुलाती हैं ससुराल वालों को एक महीना करके खुला दे उसका काम कर दे। कोई कुछ घिस तो नहीं जायेगा। बहूं नहीं इंसान के नाते ही उसका दुःख समझे।
Mera sapna tha apne bicharo ko logo tak phunchana unko jiwn ki sikh ,prerna dena unmai insaniyat jag...