Poonam Mishra 12 Jul 2023 आलेख समाजिक शक्ति का खेल 7113 0 Hindi :: हिंदी
हम अपने आप को कभी भी कमजोर साबित होना पसंद नहीं करते हैं कभी भी जब कभी हम असहाय और अशक्त होते हैं तो हम दुखी हो जाते हैं कोई भी अपनी शक्ति को - - घटाना नहीं चाहता है सभी अपने आप को श्रेष्ठ और शक्तिशाली दुनिया के सामने दिखाना चाहता है मेरा यह मानना है कि यदि आप दुनिया के सामने अपने आप को शक्तिशाली दिखाना चाहते हैं तो हमें कभी भी लोगों के सामने अपने शक्ति को किसी की नजर में नहीं आने देना चाहिए हमें हमेशा न्याय पूर्ण और नेक दिखना चाहिए इसलिए हमें का सूत्र यह है कि चालाक होने के बावजूद हमने और प्रजातांत्रिक दिखे छल कपट का यह खेल सके उसी खेल की तरह है जो पुराने जमाने के सामंती दरबारों में खेला जाता था पूरे इतिहास में शक्तिशाली व्यक्ति महाराजा महारानी या सम्राट के चारों तरफ हमेशा एक दरबार लगा रहता था दरबारी अपने स्वामी के निकट आने की कोशिश तो करते थे लेकिन वे जानते थे कि अगर वे खुलकर उनकी चापलूसी करेंगे या शक्ति पाने की कोशिश करेंगे तो बाकी दरबारियों का ध्यान उनकी तरफ चला जाएगा और वे उनके इरादों को असफल कर देंगे यह वजह थी कि वह सूक्ष्म तरीकों से अपने स्वामी का दिल जीतने की कोशिश करते थे जो दरबारी इस कला में समर्थ और कुशल थे उन्हें भी अपने साथ ही दरबारियों से सतर्क रहना पड़ता था क्योंकि वह उन्हें दरकिनार करने की योजना बनाते रहते थे दरबार सभ्यता और संस्कृति की पराकाष्ठा माना जाता था इसलिए वह शक्ति की हिंसक वालों को पसंद नहीं किया जाता था जो दरबारी शक्ति का खुला प्रयोग करते दिखते थे दूसरे दरबारी ग्रुप से उनके खिलाफ काम करने लगते थे यह दरबारियों की दुविधा थी कि एक तरफ तो उन्हें अच्छा देखना था दूसरी तरफ ने अपने विरोधियों को दबाकर आगे निकलना था सफल दरबारी ने समय के साथ-साथ अपने विचारों को भी छुपाना सीख लिया अपने विरोधी की पीठ में छुरा भोकते समय उनके हाथ पर मखमल का दस्ताना और उनके चेहरे पर मधुर मुस्कान होती थी