Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य दिल मे तुफान सा उठने लगा है 14407 0 Hindi :: हिंदी
चित्र बदल रहा या फिर चरित्र समझ मे आता नही ये तस्विर सुना है कीसि से की देश बदल रहा क्या मैं अंधा हो गया हूँ कुछ दिखता नहीं अभी अभी तो हम जवान हूए है पचपन छपन को पार किये है अभी अभी ढूध के दात टूटे है मेरे और तुम कहती हो अब हम प्यार के काबिल नही रहे दिल मे तुफान सा उठने लगा है तु अभी भी है सायाद मुझ मे ही कही दिल मे फिर से बारिस के रीम झीम बुन्द बुन्द फूहार बन बरसने लगा है मैं तुझे क्या कहु दिलरूबा महबूबा मरहबा या फिर कुछ और क्या कह के पुकारू सोना बाबू जाने मन या फिर मेरा क़ातिल