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प्रकृति का प्रेम- प्रकृति का रूप सुहाना

Bhagyashree Singh 29 May 2023 कविताएँ अन्य #Nature lover#Nature's Unconditional love #Nature based 6009 0 Hindi :: हिंदी

है प्रकृति का रूप सुहाना,
सर्वस्व सुंदर, सर्वस्व प्यारा,
बहती नदियों की कल कल धारा,
खिले पुष्पों का सौंदर्य निराला,
निर्मल तरुवर की निर्मल छाया,
पर्वत, झरनो, उपवन की काया,
देख प्रकृति का दिव्य स्वरुप,
अनंत प्रेम की झलक पूर्ण,
अंखियों से नीर छलक आया,
महज स्वार्थ पूर्ण करके जग ने,
है अपने स्वार्थ का लाभ कमाया,
धरा देह पे घात लगा कितना,
यह विरल विश्व समझ ना पाया ।



                                                मेरी कलम से 🖊️
                                               भाग्यश्री सिंह

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