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नफरत की फसल

Vipin Bansal 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम #नफरत की फसल 19156 0 Hindi :: हिंदी

नफरत की फसल तुझको ! 
अब और न बोने देंगे !! 
इन हसीं वादियों को ! 
वीरां न होने देंगे !!
तेरे नापाक मंसूबो को ! 
साकार न होने देंगे !!
तेरी कठपुतलियों के हाथों की ! 
अब कठपुतली कश्मीर न होने देंगे !! 
नफरत की फसल तुझको ! 
अब और न बोने देंगे !!

पाक नाम नापाक कर्म ! 
आतंकवाद को दिया जन्म !! 
हिजड़ो की सियासत में ! 
बड़बोलो का रहा चलन !! 
आतंकवाद की बैसाखी से ! 
अब देश न तेरा चलने देंगे !!
किस्तों की यह सांसे भी ! 
अब न तुझको मिलने देंगे !! 
नफरत की फसल तुझको !
अब और न बोने देंगे !! 

अवाम भूख से तड़प रही ! 
रोटियों को तरस रही !! 
कश्मीर की चाहत तेरी ! 
देश तेरा निगल रही !! 
भीख मिले हथियारों पे ! 
सेना तेरी उछल रही !! 
कटोरा लिए जो घूम रहा ! 
अब भीख भी न मिलने देंगे !! 
नफरत की फसल तुझको !
अब और न बोने देंगे !!

दहशतगर्दों की फौज में ! 
अब दहशत हमारी है !! 
कश्मीर की बात अलग ! 
अब पीओके की बारी हैं !! 
आध, पाव का जुमला तेरा !
अवाम के आगे लाचारी है !! 
पीओके पे जुल्म तेरा ! 
अब और न होने देंगे !! 
नफरत की फसल तुझको !
अब और न बोने देंगे !! 

जब शपथ उठाई मोदी ने ! 
सांसे तेरी अटक गईं थी !! 
पुलवामा के प्रतिशोध की ज्वाला !  
हर दिल में धधक गई थी !! 
छप्पन इंच का सीना ! 
सिंह बन जब दहाड़ा था !! 
हिन्द के शेरों ने ! 
घर में घुसकर ही मारा था !! 
पीट पीछे वार करें !
न यह दस्तूर हमारा है !! 
जब भी दुश्मन ने ललकारा है ! 
घर में घुसकर ही मारा है !! 
अभिनंदन जो वापस सौंपा !
वो खौफ हमारा था !!
नक्शे से ही मिट जाता ! 
गर जो न कहना माना था !! 
गर गलती फिर से दोहराई ! 
उस रात की सुबह न होने देंगे !!
आतंकवाद की भाषा में ! 
अब कोंई बात नहीं होने देंगे !! 
नफरत की फसल तुझको !
अब और न बोने देंगे !!

शांति को हमारी कमजोरी मानता आया ! 
दोस्ती की पीठ में खंजर घोंपता आया !! 
शराफत से तू हमारी खेलता आया !
किराए के टटूओं पे भौंकता आया !! 
गिरवी रख दिया वतन तुन्हे ! 
पीओके नीलाम नहीं होने देंगे !! 
हिन्द की उस धड़कन को ! 
गुलाम नहीं होने देंगे !! 
नफरत की फसल तुझको ! 
अब और न बोने देंगे !! 

विस्तारवाद, आतंकवाद ! 
एक तरफ मजहबी उन्माद !! 
मानवता के लिए ! 
यह है एक अभिशाप !! 
विस्तारवाद के कदमों को ! 
अब और न हम बढ़ने देंगे !! 
आतंकवाद के कदमों को ! 
सरजमीं पे अपनी कदम नहीं हम रखने देंगे !! 
मजहबी उन्माद वतन में अपने ! 
अब नहीं हम पनपने देंगे !! 
नफरत की फसल तुझको ! 
अब और न बोने देंगे !! 

    विपिन बंसल

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