Babu 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 18094 0 Hindi :: हिंदी
हमने जीवन की पहिया को चढते उतरते देखा है,नन्हे दीपक की प्रकाश को हमने अंधकार हरते देखा है,कामयाबियों की दौर में इंसान को इंसान से जलते देखा है,हमने जीवन की पहिया को चढते उतरते देखा है।वोट मांगते एक अध्यापक को हमने छल करते देखा है, हमने जीवन की पहिया को चढते उतरते देखा है , जो हवाये हमारे साथ चली थी उनको भी मुकरते देखा है , हमने जीवन की पहिया को चढते उतरते देखा है।