Rani Devi 19 May 2023 कविताएँ समाजिक हिंदी कविता, साँची धूप काव्य 5174 0 Hindi :: हिंदी
गुरु कहूँ या कुम्हार कहूँ चरित्र निर्माता या पालनहार कहूँ गुरु शिष्य का ऐसा नाता है हाथ पकड़ भव पार कराता है उदित भानू सा वो तमस दूर करता है विस्तृत नभ सा वो बाहों में अपनी भरता है ज्ञान का भंडार है राष्ट्र का आधार है पालक है संस्कारों का मूल्यों और विचारों का गुरु कहूँ या कुम्हार कहूँ चरित्र निर्माता या पालनहार कहूँ पशुता पर विजय पाता है सृष्टि का नव निर्माता है दीप सा प्रज्ज्वलित रहता है झरना निरंतर ज्ञान का बहाता है आभूषण है उसके अनुशासन, संस्कार और धीरज, धर्म, विवेक, उपकार सदभावना को जगाता है अज्ञान दूर भगाता है गुरु कहूँ या कुम्हार कहूँ चरित्र निर्माता या पालनहार कहूँ
Hindi Lecturer in Government school GSSS Karoa Himachal Pradesh....