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कृष्ण कली का प्रेम-कृष्ण कली छोटी सी लड़की थी

Kirti singh 07 May 2023 कहानियाँ अन्य कृष्ण कली छोटी सी लड़की थी जो श्री कृष्ण भगवान से बहुत प्रेम करती थी। कृष्ण कली का जैसा नाम था उसका स्वभाव और रुप भी बिल्कुल वैसा ही था फूल सी कोमल स्वभाव वाली और कमल की कटीली पंखुड़ियों की तरह आंखों वाली सांवले रंग से सलोनी सुंदर कृष्ण कली जो सच में कृष्ण की कलेही थी शायद कृष्ण भगवान ने उससे बड़े ही फुर्सत से अपने लिए ही बनाया था। 9570 0 Hindi :: हिंदी

कृष्ण कली छोटी सी लड़की थी जो श्री कृष्ण भगवान से बहुत प्रेम करती थी, कली के पिता का नाम यशवंत सिंह था और माता का नाम श्रीदेवी यशवंत जी एक जमींदार थे और अपने गांव में एक प्रतिष्ठित ईमानदार व्यक्ति थे उनके अंदर दया भावना कूट-कूट कर भरी थी ,श्रीदेवी जो कृष्ण कली की माता थी वह तो ममता से भरी देवी और लक्ष्मी बाई की तरह तेज बुद्धि वाली वीरांगना भी थी ।जसवंत जी के तीन भाई थे और एक मां जो 70 के करीब हुई थी यशवंत जी तीनों भाइयों में सबसे छोटे और चौथे नंबर के थे। यशवंत की इमानदारी ना ही उनके तीनों भाइयों को पसंद आती थी और ना ही उनकी मां जटिला को ,जटिला एक बहुत ही करकटी स्वभाव वाली महिला थी अपने बड़े बेटे जेठालाल को ही मानती थी और और बुद्धि भी जटिला की वैसी ही थी जैसे बड़े बेटे जेठालाल की थी अपनी मां के साथ लोगों की चुगली करता और बुराइयां करता रहता और वह एक धूर्त स्वभाव का व्यक्ति भी था। जटिला यशवंत को तो भूल ही चुकी थी कि वह भी उसका बेटा है मगर यशवंत अपने भाइयों और मां से बहुत प्रेम करता था ,वह अपनी सारी कमाई अपने मां के हाथों पर देता था कुछ ही पैसे अपने परिवार और घर खर्च के लिए रखता था और अपनी मां का सेवा भी अपने हाथों से करता था फिर भी जटिला यशवंत को नहीं मानती थी ।और उसे और उसके परिवार को भला-बुरा कहती थी ना जाने जटिला को यशवंत से क्या परेशानी थी शायद यशवंत उसकी बुद्धि का नहीं था जटिला का  दिमाग धन और किचन की सामग्री में लगा रहता था। लेकिन वह अपने बेटे जेठालाल को इतना चाहती थी कि सारा धन और उत्तम भोजन जेठालाल को दिया करती थी ,और अपने हाथों में कुछ नहीं रखती थी जेठालाल के दो बेटे थे और यशवंत की एक बेटी जो कृष्ण कली थी जिसे जटिला बिल्कुल ही पसंद नहीं करती थी, वह कहते हैं ना जब पेड़ से ही लगाना हो तो पत्ते से लगाओ क्या होगा ।कृष्ण कली को उसके बाबा और मां दोनों ही बहुत प्यार करते थे कृष्ण कली की उम्र जब 8 साल की थी तब कली अपने कान्हा से प्रेम किया करती थी वह स्कूल के फंक्शन में भी कृष्ण गीत पर नृत्य किया करती थी उसके गले में तो मां सरस्वती का ही निवास था कृष्ण कली जब कान्हा का भजन गाती तो ऐसा लगता कि भजन में ही भगवान दर्शन दे रहे हो कृष्ण कली बहुत ही मासूम लड़की थी कृष्ण कली का रंग कान्हा के तरह ही सावला और सलोना था उसकी आंखें कमल की तरह कटीली और सुंदर थी उसके काले और लंबे बाल थे कृष्ण कली कोयल से भी मीठा बोलती थी और बहुत ही शांत शालीन स्वभाव की थी कृष्ण कली से सभी  प्रभावित रहते थे लेकिन उसकी दादी जटिला उससे फूटी आंख नहीं मानती और कलूटी कह कर उसे संबोधित करती थी। कृष्ण कली की मां श्रीदेवी बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाती थी लेकिन वह एक संस्कारी बहू थी वह जटिला के स्वभाव को झेल लिया करती थी 1 दिन कृष्ण कली के स्कूल का प्रोग्राम था जिसमें मंत्री लोग भी शामिल होने वाले थे कृष्ण कली बहुत खुश थी कि उसे भी कान्हा के गीत पर नृत्य करने का मौका मिलेगा क्योंकि वह हर वर्ष कान्हा के गीत पर नृत्य किया करती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ स्कूल वालों ने एक बेहतरीन नृत्य करने वाली बच्ची को प्रोग्राम में भाग नहीं लेने दिया किससे कृष्ण कली बहुत अचंभित हुई कि ऐसा क्या हुआ उसने अपनी सहपाठी से पूछा कि मैं प्रोग्राम  मै क्यों भाग नहीं ले सकती तो सहपाठी ने हंसते हुए कहा कि तुम्हारा रंग काला है और काले रंग वालों को प्रोग्राम में नहीं लिया जा रहा है ।इतना सुनकर कृष्ण कली अपने टीचर के पास गई और उसने काला और गोरा में अंतर पूछा तो टीचर ने जवाब दिया गोरा रंग अच्छा होता है और काला रंग खराब कृष्ण कली धीरे-धीरे समझने लगी थी और वहां से सीधा अपने घर अपने रूम में आकर कान्हा जी की मूर्ति के सामने रो रो कर कहने लगी हे कान्हा मैं तो आपके रंग से बहुत प्यार करती हूं दुनिया वाले कौन होते हैं तुम्हारे रंग को बेकार कहने वाले और अपने आंसू को पोछ पैरों में घुंघरू बांध कान्हा के आगे नित्य करने लगती है और खुशी से झूम उठती है कान्हा को गले लगा कर कहती है हां मुझे तुम्हारे रंग से प्यार है हां मैं तुम्हें धन्यवाद करती हूं अपना सावला रंग देने के लिए तुम्हारे काले रंग ने मेरी सुंदरता में चार चांद लगा दिए हैं धन्यवाद कान्हा कोटि कोटि प्रणाम करते हुए मैं आपको धन्यवाद करती हूं। इतने में कृष्ण कली की दादी जटिला ने आवाज लगाते हुए कहा अरे कलूटी कहां मर गई दिनभर कृष्ण भजन में ही लगी रहती है और नृत्य करती है अरे बड़ी होकर क्या नाचने वाली बनेगी इतना सुन कर कृष्ण कली की मां का तो खून ही उबल उठा और उसने अपनी सास को कहा मां जी आप ऐसे शब्द मेरे बच्ची के लिए प्रयोग नहीं कर सकते मेरी बच्ची श्री कृष्ण भगवान की भक्त हैं ,और आपको ऐसा कहने पर भगवान आपको माफ नहीं करेगा कह देती हूं कि अगर मेरी बेटी के लिए ऐसे अपशब्द प्रयोग किए तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा ।इतने में जटिला कर्कश की आवाज में बोली तू क्या कर लेगी मेरा अरे आज तक एक बेटी ही तो दी है इस घर को वह भी कलमुही कलूटी इतना ही कहना था कि श्रीदेवी जो कृष्ण कली की मां थी उसने जटिला को तो कुछ नहीं कहा क्योंकि वह एक संस्कारी बहू थी लेकिन उसने किचन से सारे बर्तन दूसरे तल पर फेंकने लगी और किचन की बहुत सारी सामग्रियों को भी किचन से फेकने लगी और कहने लगी मेरी बेटी को कोई अपशब्द कोई नहीं कहेगा मुझे चाहे जो कुछ भी कह ले लेकिन मैं अपनी बेटी के बारे में कुछ बुरा नहीं सुन सकती इतना कहना ही था कि जटिला सुनकर अपनी करकटी आवाज बर्तन में चिल्लाने लगी अरे मेरे रसोई के सारे सामान अरे मेरी इतनी महंगी बर्तन मेरे मेवे की मिठाई और भोजन की सामग्रियां जटिला की तो सारी बुद्धि किचन में घुसी रहती थी किचन में तो उसकी जान बसा कर थी जटिला तो बिल्कुल ही अपनी सुध बुध खो बैठी और जेठालाल की कमरे में जा पहुंची कहने लगी अरे यशवंत को जाने क्या इस कलमुही की मां में दिखता है मैं तो कितनी बार कह चुकी हूं कि इसे छोड़ दे तेरे बड़े भाइयों के दो बेटे हैं तेरा सेवा वह कर देंगे लेकिन वह मेरी कहां सुनता है दानवीर बन गांव में घूमा करता है मेरा बस चलता तो  कलूटी और उसकी मां दोनों की चुटिया पकड़कर घर से बाहर निकाल देती।              (शेष कहानी दूसरे भाग में होगी) आगे की कहानी पढ़ने के लिए साहित्य लाइफ से जुड़े रहिए और मेरा नाम सर्च कर कहानी का आनंद लीजिए धन्यवाद!  Kirti singh

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