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*प्रेरक कहानी* 💐*मां की वापसी*💐 ##प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह##

Karan Singh 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक Ram/जय श्री राम/धार्मिक महत्व/सपनों का सौदागर.... करण सिंह/ Karan Singh/भंडारा और तीन दोस्त/हिन्दू परम्पराएं और उनका महत्व/चौदह प्राचीन हिन्दू परम्पराएं और उनसे जुड़े लाभ/Sapno ka sodagar... Karan Singh/शादी-विवाह का महत्व/शादी-विवाह के लिए गोत्रो का महत्व/चयन का महत्व/भक्ति/धार्मिक कथा/रामायण/महाभारत/***************************************** *🌸प्रेरक कहानी🌸*#सहारा** 💐प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर......करण सिंह💐/सहारा/छोटी बहू/आदर्श बहु/जिम्मरदारी/*🌳🦚प्रेरक कहानी🦚🌳 *💐💐ओहदे की कीमत(दहेज में)💐💐 #प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर......करण सिंह#/ओहदे का महत्व/दहेज प्रथा/नारी शक्ति/बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ/बेटियां/*प्रेरक कहानी* *मेहनत के फल का महत्व* 💐सपनों का सौदागर......करण सिंह💐/मेहनत के फल का महत्व/karan singh/सपनों का सौदागर/*🌳प्रेरक कहानी🦚🌳 *💐💐कलियुग-धर्म💐💐* सपनों का सौदागर.....करण सिंह/कलियुग धर्म/*प्रेरणास्पद कहानी 💐*प्रोफेसर की सीख..*💐 ✍🏻प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर.....करण सिंह/प्रोफेसर की सीख/Ram/जय श्री राम/धार्मिक महत्व/सपनों का सौदागर.... करण सिंह/ Karan Singh/google/सनातन धर्म/*प्रेरक कहानी* 💐*मां की वापसी*💐 ##प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह##/माँ की वापसी/ 8169 0 Hindi :: हिंदी

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*प्रेरक कहानी*
💐*मां की वापसी*💐
##प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह##
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*बीबी रसोईघर में थी। पति तेज आवाज में बोला - सरिता, आज माँ आ रही है। मैं माँ को स्टेशन लेने जा रहा हूँ। इतना सुनते ही सरिता ने माथा सलवटों से भरकर कहा- ले आओ मैंने कब मना किया है, तुम्हारी माँ लाओ या मत लाओ। मेरी माँ क्या तुम्हारी कुछ नहीं लगती, विवेक ने कहा। विवेक सरिता की आंखों से, उसके हृदय को पढ़ चुका था। गाड़ी की चाबी उठाकर बोला - देखो सरिता, माँ पिछली बार आँखों में आँसू लेकर गयी थी। पूरे चार साल बाद, हमारे पास कुछ दिनों के लिए आ रही है। मैं चाहता हूँ, सब हँसी खुशी रहें, पिछली बार जैसा कुछ नहीं होना चाहिए। पिछली बार जैसा क्या, सरिता आवेश में आकर बोली- तुम्हें क्या लगता है, गलती मेरी थी, तुम अपनी माँ की गलती क्यों बताओगे, तुम्हें अपनी माँ से अच्छा क्या कोई लगता है दुनिया में। तुम्हें तो हमेशा मुझ में ही खोट नज़र आती हैं। तुम और तुम्हारा परिवार ही सही होता है, सारी कमियां मुझ में ही हैं बस, मैं इस दुनिया की सबसे बेकार बहू, बेकार पत्नी हूँ। विवेक बोला - सरिता बेकार की बातें मत करो, मैं बस यही कह रहा हूँ, जितने दिन भी माँ यहाँ रहे, सभी लोग  उनसे अच्छे से पेश आएं, उनके पास बैठें उन्हें समय दें।*


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*सरिता गुस्से से बोली- ठीक है स्वामी जी, मैं घर के सारे काम छोड़कर, बच्चों की छुट्टी करवाकर चौबीस घंटे तुम्हारी माँ के पास बैठती हूँ ताकि तुम्हारी माँ को कोई शिकायत ना हो। तुम पागल हो क्या? विवेक ने कहा। जो मैं समझाना चाह रहा हूँ, तुम समझना ही नहीं चाहती।*

*सरिता फिर बोली- मैं सब समझ रही हूँ, तुम जो समझाना चाहते हो, पिछली बार भी तुमने सारा लेक्चरर मुझे ही दिया था, अपनी ‌माँ को कुछ नहीं कहा, तुम हमारी परवाह ही कब करते हो। मैं और मेरे बच्चें जाएं भाड़ में, तुम्हें तो अपने परिवार वाले चाहिए ।*

          *चाबी मेज पर फेंककर विवेक गुस्से से बोला - तो यह सब मैं किसके लिए कर रहा हूँ, मेरी एक ही बहन है उससे मिले हुए भी दो दो साल हो जाते हैं, बाबू जी के जाने के बाद, माँ गाँव में अकेली रह गई, लेकिन मैं यहाँ नहीं ला सका, ताकि तुम लोग के जीवन में कोई डिस्टर्बेंस ना हो। तुम कहती हो, मुझे अपने परिवार वाले चाहिए। जिस बड़े भाई का हाथ थामकर इस शहर में आया था, जिसने सब कुछ सीखाकर इस क़ाबिल बनाया कि तुम लोगों का भरण पोषण बहुत अच्छे से कर रहा हूँ । उस भाई की मृत्यु के बाद कभी उसके बच्चों को दो पैसा का सहारा नहीं दिया और तुम कहती हो, मुझे मेरे परिवार वाले चाहिए।*


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*माँ के साथ तुम लोग कैसा सलूक़ करते हो, क्या मुझे पता नहीं। सरिता ताव में आकर बोली- हाँ हाँ बोलो, मैं भी तो सुनूं, कैसा सलूक़ करती हूँ मैं, तुम्हारी माँ के साथ। तो सुनों विवेक भी आज दिल की बात कहने के मूड में था, अछूतों जैसा व्यवहार, बच्चों को पास ना जाने देना, माँ को यहाँ आकर भी अपनी दो रोटियाँ खुद ही बनानी पड़ती हैं तो धिक्कार है ऐसी औलाद होने पर। और सुनों बचपन में मुझे रात में उठकर रोटी खाने की आदत थी,  उसमें कभी ऐसा नहीं हुआ कि मैं रात में उठा और मुझे रोटी नहीं मिली, माँ हमेशा दो रोटी बचाकर रखती थी मेरे लिए। यहाँ सब कुछ होने के बावजूद भी, माँ को कईं दफ़ा भूखा सोना पड़ा ऐसा क्यों? सरिता बोली- मैंने कभी नहीं कहा तुम्हारी माँ को रोटी बनाने के लिए, मेरा दोष बताओ। विवेक बोला- इसमें तुम लोगों का दोष नहीं है, बल्कि मैं ही अपनी माँ का लायक बेटे नहीं बन पाया। ये जो आज हमारे पास घर गाड़ी स्टेटस है, जिसकी तुम मालकिन बनी बैठी हो, ये उसी माँ के आशीर्वाद से है। मेरी माँ के आते ही तुम्हारी बीमारियां शुरू हो जाती हैं, मैं चुप इसलिए रहता हूँ कि घर का माहौल ख़राब ना हो। सरिता आज पहली और अंतिम बार तुम्हें बता रहा हूँ, अगर इस बार माँ को कुछ भी दिक्कत हुई तो तुम वह विवेक देखोगी, जिससे तुम आजतक नहीं मिली।आज विवेक अपने मन में दबी टीस पूरी तरह से कह देना चाहता था। विवेक का पहली बार ऐसा रूप देखकर सरिता नें अब चुप्पी साध ली थी।*


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*प्रेरक कहानी*
💐*मां की वापसी*💐
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             *माँ वहीं दरवाजे के पास खड़ी ,पहली बार अपने बेटे विवेक को अपने लिए जिरह करती हुई सुन रही थी, माँ की आँखों में आँसूओं का समंदर उमड़ पड़ा था।*

*माँ ने खुद को सम्भालते हुए दरवाजा खटखटाया तो देखा कि पूरे घर में अजीब़ सा सन्नाटा पसरा हुआ है, विवेक ने अपने विवेक से सब कुछ बदलकर रख दिया। आज माँ को पहली बार लग रहा था कि मैं अपने बेटे के घर आई हूं।*

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*जो प्राप्त है-पर्याप्त है*
*जिसका मन मस्त है*
*उसके पास समस्त है!!*
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*हमारा आदर्श : सत्यता-सरलता-स्पष्टता*
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