नवीनतम बाल-साहित्य रचनाएँ
Mr.Deepak
Deepak Kumar
सपने को भूल कर जिया तो क्या जिया.
दम है तो उसे पाकर दिखा.
लिख पत्थर पे ज़िन्दगी की कहानी
और सागर को बोल दम है तो उसे म
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बचपन
Sakshi Srivastav
ना हँसना एक बहाना था
ना रोना किसी से छिपाना था
ना थी कोई जरूरत,
ना कोई जरूरी अफसाना था
वो बचपन का मौसम भी कितना सुहा
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कोरोना काल
Uma mittal
चीकू काफी उदास हो गया था घर के बाहर भी निकलना मना था बस सबकी जुबान पर एक ही बात थी बाहर नहीं जाना कोरोनावायरस है न स्
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भोला और सेठ
Karan Singh
भोला और सेठ
किसी गांव में भोला नाम का एक लड़का रहता था। घर में वह और उसकी मां केवल दो प्राणी थे। पिता, उसके बचपन में
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मां
Mk Rana
मां शीतल की गंगा है,
मां पीपल की छांव है,,
मां का दूध बड़ा अनमोल,
जिसका यहां ना कोई तोल,,
मां क
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काश नींद ओ आती
Mk Rana
कास नींद ओ आती
मां मां ओ मां आपके कंधों पे सोने वाली
कास नींद ओ आती
कंधा से उठाकर जब तू खाट पर सुलाती थी
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प्रेम भाई का
Mk Rana
हर खुशी हर गम में अगर कोई साथ दिया हो तो वह आप हो, मेरे भैया आप पापा का सर का ताज हो...
सभी भाइयों का खुशियां का आप ही राज
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पेड़ भी चलते होते
Mk Rana
कास पेड़ भी चलते होते,
कितने मजे हमारे साथ होते,
बांध डाली में उसके रस्सी झूला भी झुल लेते, जहाँ कहीं हां मन कहता वहां
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दिन रात
Mk Rana
हर दिन एक चिट्ठी आती जो आज थी
हर रात एक चिट्ठी आती जो स्वप्न थी
हर दिन की चिट्ठी में लिखा खास थी
हर रात की चिट्ठी में
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कृपा बरसी
Mk Rana
कर्जदार तो हम पहले से ही था
आज आपका भी कर्जदार बन गया हूं
मानो आपका कृपा बरसी है हम किसानों पर
इसीलिए चारों तरफ ऐसा
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शत शत नमन गुरु को
Mk Rana
शत-शत नमन शत प्रणाम करूं गुरु
अपने चरणों की धूल से मन शुद्ध कर दो,
दिव्य ज्ञान की ज्योत जलाकर
मन को आलोकित कर दो,
मु
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