Archana Singh 17 Oct 2023 कविताएँ समाजिक 9956 0 Hindi :: हिंदी
नमस्ते दोस्तों 🙏🙏 कहते हैं दोस्तों ! मां-बाप की असली खुशियां उनके बच्चे में होती है ! उनकी मुस्कान , सफलता , तरक्की में होती है .... पर क्या बच्चों की खुशियां मां-बाप के साथ रहने में होती है ...? नहीं ....! भले एक मां ने नौ महीने अपनी गर्भ में बच्चों को रखकर पालती है , अपनी हर खुशियों ,ख्वाहिशों की होली जलाती है ! अपने सपने पर तिल - तिल पानी फिरते देखा हो , पर हर सांस वो दिल से अपने बच्चों की सलामती मानती है ! कई रातें वो जाग कर गोद में लोरी गाती है । अपनी हर नींद को अपने बच्चों पर कुर्बान कर जाती है । इस उम्मीद में कि कल वो मेरे बुढ़ापे का सहारा बनेंगे ,,,, आज मैंने उंगली पड़कर उसे चलना सिखाया है ,,,, कल वो मेरा हाथ थाम कर सहारा बनेगा । उसके मुंह से " हूं ,,, हूं ,,,," में , बिना कहे ही मैं हर बात समझ जाती थी , कल को बुढ़ापे में वो मेरे अंतर्द्वंद में चल रही हर वेदना समझ जाएगा ,,,, पर वक्त की सूइयां तेजी से बढ़ती गई ,,,,, आंखों पर मोटा चश्मा , चेहरे पर बुढ़ापे की सिलवटें पड़ती गई ! बालों का रंग भी चांदी सा चमकने लगा ,हाथ - पांव कांपने लगे ! और छड़ी ने मुझे अपना महत्व बता दिया ! आज उन्हीं बच्चों के पास समय का अभाव है , दो प्यार भरे मीठे शब्द बोले ऐसी कहां मजाल है ! मां-बाप के संस्कार का बस यही अंजाम है ! सब अपने-अपनी दुनिया में भौतिक सुखों का गुलाम है ! बस यही हर मां के जीवन का सार है ! जब अनुभूति हुई तो सोचा काश ! हम भी उस वक्त थोड़ा ख़ुदग़र्ज़ हो जाते , भले बच्चों की परवरिश ठीक से ना कर पाते , ,,,, पर अपनी जिंदगी के वो सुनहरे पल तो स्वार्थी बच्चों पर यू ना गंवाते ! आज अफसोस होता है अपनी कुर्बानी का , पर क्या करूं मां का दिल इस सीने में धड़कता है ! पुत्र कुपुत्र भले ही होवे , माता कहां कुमाता कहलाई है ! सब कुछ जानकार भी मां अपने बच्चों पर बलिहारी है ! तभी तो वो " धात्री " कहलाई है ! देवी पूजन को वो मंदिर - मंदिर जाते हैं , मां की पूजा - अर्चना कर चढ़ावे चढ़ाते हैं ,,,, और जन्मदात्री मां का दिल दुखाते हो ! क्या होगा तेरी पढ़ाई - लिखाई का , जब भी तुझको चोट लगी मुंह से "आह" की जगह "मां" ही निकाल कर आई है !फिर क्यों नहीं तू उस मां के दिल की वेदना समझ पाया है । धन्यवाद दोस्तों 🙏🙏💐💐