SACHIN KUMAR SONKER 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य 56190 0 Hindi :: हिंदी
शीर्षक (मेघराज) मेरे अल्फ़ाज़ (सचिन कुमार सोनकर) हे मेघराज कब तक आओ गे , कब हम पर अपनी कृपा बरसाओ गे। ऊपर से बरस रही है आग नीचे से धरती उगल रही है ताप। किसान तक रहे है आप की राह, खेतो को भी है बारिश की चाह। अपनी गडग़हाट से कब तक शोर मचाओगे। कड़के बिजली अम्बर से जल बरसे जल, कब तक धरती की प्यास बुझाओगे। कब तक धरती पर हरियाली लाओगे। नैनन तरस गये देखन को बादल कब नैनन की प्यास बुझाओगे। मुरझाये से चेहरों पर कब तक खुशहाली लायोगे। इस असहनीय तपन से कब तक निजात दिलाओगे।