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जंगल जलेबी

Ashok Kumar Yadav 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 70005 0 Hindi :: हिंदी

कविता का शीर्षक- जंगल जलेबी

कलित मोहिनी जंगल जलेबी,
तेरी ओर खिंचा चला जाता हूं।
देख तुम्हारे लाल-लाल बदन,
पाने को हर पल ललचाता हूं।।

तुम हो एक नौजवान लड़की,
यौवन से सुसज्जित नव सुंदरी। 
लगती हो तुम फलों की देवी,
अंग-अंग में धारण की हो मुंदरी।।

हवाएं झूला रहा है तुझे झूला,
बैठी हो डालियों की पालना में।
कृश कमर को मटका रही हो,
गीत गा रही हो कांत कामना में।।

नजरें मिलते ही मैं आकृष्ट हुआ,
तुम मेरी भूख, प्यास, कामना हो।
प्रीति में सिरफिरा पागल बना हूं,
जीवन पथ में चलने की प्रेरणा हो।।

हासिल करने लिए संघर्ष करूंगा,
नुकीले कांटों पर मुझे चलना होगा।
हो जाऊंगा मैं लहूलुहान तर-बतर,
अंतिम सांस तक आगे बढ़ना होगा।।

कवि- अशोक कुमार यादव 
पता- मुंगेली, छत्तीसगढ़ (भारत)
पद- सहायक शिक्षक
पुरस्कार- मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत' पुरस्कार 2020
प्रकाशित पुस्तक- 'युगानुयुग'


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