Onkar Verma 29 Jan 2024 कविताएँ समाजिक शब्दों की कीमत 4627 0 Hindi :: हिंदी
शब्दों की कीमत आज फिर लिखने का मन है आज फिर बिकने का मन है फिर सोचता हूं……. क्यों लिखूं ? क्यों बिकूं ? कोई खरीदने को तैयार नहीं मेरे शब्दों को जो समझें ऐसा कोई समझदार नहीं मुझे सही कीमत मिल सके शायद ऐसा कोई बाज़ार नहीं……………. रद्दी के भाव बिकती हैं आज भावनायें यहाँ रद्दी की कीमत है शब्दों को कौन पूछता यहाँ……………. फिर भी लिखता हूं बिन भाव बिकता हूं शायद कोई हो ऐसा जो मोल कर दे मेरे शब्दों को तोल कर फिर से अनमोल कर दे.....