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हक़ीक़त

Anil Parihar 30 Mar 2023 शायरी अन्य जमाने की हक़ीक़त 12352 0 Hindi :: हिंदी

जमाने की हकीकत को समझ लेता हूं,
अनजान बनकर होंठों को सी लेता हूं,
आयेगा आने वाला दिन कोई बेहतर,
बस यही समझ कर हर रोज जी लेता हूं।

मुझे मालूम है गहराई, डूब सकता हूं,
पार करना है दरिया, कैसे रुक सकता हूं,
एक आग सी है जो सुलगाती है दिल को,
कमबख्त उसी आग में जलकर जी लेता हूं।

खुद और खुदा के सिवा न भरोसा रख अनिल,
खुद को जान, खुदा से प्यार कर अनिल,
खुदा के नूर को दिल में पनाह देता हूं
अब मैं "शब-ए-ग़म" को सहर में बदल लेता हूं।

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