महेश्वर उनियाल उत्तराखंडी 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 81899 0 Hindi :: हिंदी
"कलमकार" मैं एक निश्छल निर्विरोध जागृत नवाचार हूं लिखता हूं वही जो दिखता है क्योंकि मैं एक कलमकार हूं ll लेखनी शक्ति है मेरी लेखनी भक्ति है मेरी मैं एक अविरल धार हूं लिखता हूं वही जो दिखता है क्योंकि मैं एक कलमकार हूं ll कल्पना तक सीमित नहीं हूं यथार्थ को भी दर्शाता हूं गुणगान भी करता हूं उनका जिन्हें इस योग्य पाता हूं ll झुकता नहीं किसी के आगे क्योंकि मैं नहीं कोई चाटुकार हूं लिखता हूं वही जो दिखता है क्योंकि मैं एक कलमकार हूं ll लिखना आत्मा की आवाज है मेरी जिसे मैं नित सुनता हूं लेखनी के सहारे मैं रोज एक नया संसार बुनता हूं ll मैं एक मौसम सदाबहार हूं लिखता हूं वही जो दिखता है क्योंकि मैं एक कलमकार हूं ll धर्म जाति, वर्ग भेद नहीं करता गरीब, अमीर सभी पर लिखता हूं क्योंकि मैं तो सत्य का दीदार हूं लिखता हूं वही जो दिखता है क्योंकि मैं एक कलमकार हूं ll प्राण त्याग सकता हूं पर लेखन का साथ नहीं संसार छोड़ सकता हूं मगर सत्य की बात नहीं ll क्योंकि समाज सुधार में मैं भी एक हिस्सेदार हूं लिखता हूं वही जो दिखता है क्योंकि मैं एक कलमकार हूं ll रचनाकार:- महेश्वर उनियाल "उत्तराखंडी"