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हसते रहें भाई यहां-जीना यही सुन्दर

संदीप कुमार सिंह 01 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4269 0 Hindi :: हिंदी

(मुक्तक छंद) 
हलचल करें मत यूं कि नव, तकरार हो जाए।
जीना हमें  है  शान से, ना  रार हो जाए।
हसते रहें भाई यहां, जीना यही सुन्दर_
सबको निजी बातों भरा, इजहार हो जाए।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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